दरभंगा : कार्तिक पूर्णिमा को आसमान में जिस तरह समय के साथ चंदा की चांदनी फैलती गयी उसी तरह गीत-संगीत की महफिल भी जवान होती चली गयी. समृद्ध लोक संगीत की धनी मैथिली के गीतों पर दर्शक-श्रोता थिरकते रहे. अवसर था विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से चल रहे महाकवि विद्यापति के अवसान दिवस पर त्रिदिवसीय मिथिला विभूति पर्व के तीसरे दिन के कार्यक्रम का. अंतिम दिन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने ऐसा समां बांधा कि कब रात ढली, कब सुबह हो गयी किसी को पता तक नहीं चल सका. सभी इस संगीत की रसधार में डूबते-उतराते रहे.
शाम में उद्घाटन सत्र के दौरान ही इसकी नींव डाल दी गयी. गोसाउनिक गीत के बाद परंपरागत तरीके से गाये गये स्वागत गीत से आरंभ इस कार्यक्रम में लोक संगीत की ऐसी चादर फैली जिसने सभी को अपनी ‘आगोश’ में ले लिया. क्या बच्चे, क्या जवान, क्या बूढ़े सभी इसके रसास्वादन में खोये रहे. कलाप्रेमियों से खचाखच भरे एमएलएसएम कॉलेज परिसर से गीतों के बीच तालियाें के उठ रहे शोर नीरव रात में मिठास घोलती रही. दशकों से हो रहे इस आयोजन में मिट्टी की सोंधी खुशबू के साथ अपनी संस्कृति की झलक पा श्रोता बाग-बाग हो उठे.
मैथिली मंच के चर्चित कलाकार कुंज बिहारी मिश्र ने जहां अपनी गायकी से सभी वय के श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया, वहीं युवा श्रोताओं के दिल में अलग जगह बना चुकी पूनम मिश्र ने थिरकने पर मजबूर कर दिया. राम बाबू झा के गीतों ने दर्शक-श्रोताओं ने जोश से भर दिया.
रामसेवक ठाकु र व अद्भुतानंद ने अपनी हास्य प्रस्तुतियों से श्रोताओं को जहां गुदगुदाया, वहीं मधुबनी की चर्चित धरोहर मंच की प्रस्तुति ने ठहाका लगाने पर मजबूर कर दिया. मौके पर कृष्णानंद मिश्र, दुखीराम रसिया, नंद, दिलीप दरभंगिया, पुष्कर भारती समेत दर्जनों कलाकारों की प्रस्तुतियों ने जाड़े की इस रात को ‘गरम’ कर दिया. लोग संगीत की महक के बीच आमता घराना के ख्यातिलब्ध कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत का सुगंध बिखेरते हुए संगीत की महफिल को मानो पूर्णता प्रदान कर दी. इससे पूनम की रात खिलखिला उठी.