बाहरी परिसर का अतिक्रमण खूबसूरती पर दाग बागवानी के लिए निगम ने रेलवे को दे रखी है जमीन पूर्व डीआरएम ने 11 वर्ष पूर्व कराया था अतिक्रमणमुक्त इस भूखंड के प्रति लापरवाह बना है रेल प्रशासन निगम के अतिक्रमण मुक्ति अभियान के बाद फिर काबिज हुए दुकानदार फोटो संख्या- 10परिचय- अतिक्रमित जंकशन का बाहरी परिसर. प्रतिनिधि, दरभंगा दरभंगा जंकशन की खूबसूरती पर बाहरी परिसर की अवैध दुकानें बदनूमा दाग बनी हुई है. हाल ही में निर्मित आकर्षक गेट का सौंदर्य भी बेतरतीब लगी दुकानों के बीच मुरझा सी रही है. रेलवे इस ओर कतई संजीदा नजर नहीं आ रहा. जिस भूखंड पर रेलवे को रंग-बिरंगे खूबसूरत फूलों के पौधे लगाने थे, उस जगह चाय-नाश्ते, पान, फल की बेतरतीब दुकानें पसरी हुई हैं. इस वजह से जंकशन के आवागमन में यात्रियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. आलम यह है कि निगम प्रशासन की ओर से अतिक्रमण मुक्ति अभियान के तहत इसे खाली कराये जाने के बाद चंद दिनों में ही गेट पर दुकानें सज जाती हैं. रेलवे इसे रोकने की भी जहमत उठाने का प्रयास नहीं करता. बागवानी के लिए मिली जमीन जंकशन परिसर के पश्चिम स्थित चहारदीवारी के बाहर सड़क से सटे भूखंड निगम ने रेलवे को दे रखी है. इस जमीन पर रेलवे को बागवानी करनी है. इसीलिए सड़क किनारे चहारदीवारी के बीच की इस जमीन को लोहे के ग्रिल से घेर दिया गया था. इस बीच में फूलों के पौधे लगाये जाने थे. लेकिन रेलवे ने इस ओर कोई तवज्जो नहीं दी. नतीजतन अवैध तरीके से दुकानदारों ने इस भूखंड को अतिक्रमित कर लिया. ये दुकानें सड़क जाम की भी वजह बनी हुई हैं. 11 वर्ष पूर्व डीआरएम ने की थी कोशिश 11 साल पूर्व वर्ष 2004 में तत्कालीन डीआरएम वीके बहमनी ने इस जमीन को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त कराया था. खुद खड़े होकर सारी दुकानें हटवा दी थी. इसके बाद ग्रिल को व्यवस्थित करते हुए इसमें कुछ पौधे भी लगवाये थे. श्री बहमनी के समस्तीपुर रेल मंडल से स्थानांतरण के बाद किसी भी मंडल रेल प्रबंधक ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. फलत: धीरे-धीरे पौधे समापत हो गये. जमीन पर अतिक्रमणकारी काबिज होते चले गये. अब तो ग्रिल का भी कहीं-कहीं सबूत मिलता है. बजावता शेड डालकर अब दुकानें सजा दी गयी हैं. यात्रियों को होती परेशानी इन दुकानों के कारण सड़क जाम से आम राहगीरों को तो नित्य जूझना पड़ता ही है, रेल यात्रियों को भी परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. कारण प्रवेश द्वार के उत्तर व दक्षिण दोनों ओर दुकानें लगी रहती हैं. इस कारण प्राय: हमेशा संकरे हो चुके रास्ते पर जाम लगा रहता है. ऑटो चालक आग में घी डालने का काम करते हैं, जो पतला सा मार्ग शेष रहता है उसे अपनी गाड़ी लगा घेरे रहते हैं. आलम यह होता है कि यात्रियों को पैदल आने-जाने में भी काफी मशक्कत करनी होती है. अधिकारियों के आगमन पर साफ हो जाता गेट आश्चर्यजनक पहलू यह है कि जंकशन पर जब कभी वरीय पदाधिकारी का आगमन होता है तो दोनों गेट स्वत: साफ हो जाता है. चाहे अधिकारी रेलमार्ग से आयें अथवा सड़क मार्ग से. रेलकर्मियों से कहीं पहले इन दुकानदारों को इसकी खबर मिल जाती है और ये अपनी दुकान वहां से हटाकर सड़क किनारे चले जाते हैं. हालांकि बागवानी वाली जमीन पर काबिज दुकानदारों पर इसका भी कोई असर नहीं होता. असर पड़े भी क्यों, जब रेल अधिकारी तक को इस भूखंड के बारे में जानकारी नहीं रहती तो वे किस आधार पर कोई कार्रवाई करेंगे.
बाहरी परिसर का अतक्रिमण खूबसूरती पर दाग
बाहरी परिसर का अतिक्रमण खूबसूरती पर दाग बागवानी के लिए निगम ने रेलवे को दे रखी है जमीन पूर्व डीआरएम ने 11 वर्ष पूर्व कराया था अतिक्रमणमुक्त इस भूखंड के प्रति लापरवाह बना है रेल प्रशासन निगम के अतिक्रमण मुक्ति अभियान के बाद फिर काबिज हुए दुकानदार फोटो संख्या- 10परिचय- अतिक्रमित जंकशन का बाहरी परिसर. […]
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