कल्याणपुर : भगवान कृष्ण के पास सुदामा नहीं जाना चाहते थे. क्योंकि वह जानते थे कि द्रोणाचार्य और द्रुपद एक मित्र थे, जब द्रुपद बोले की अगर मैं राजा बन जाऊंगा तो मैं अपनी आधी राज द्रोणाचार्य को लिख दूंगा, जब द्रुपद राजा बन गए तो द्रोणाचार्य द्रुपद के पास गये. द्रुपद को पता चला कि द्रोणाचार्य आ रहे हैं तो धन के लोभ में डांट कर भगा दिया.
उक्त बातें प्रखंड के राजपुर पंचायत के कुंवरटोला में आयोजित भागवत कथा के सातवें दिन रविवार की रात वृंदावन से आए महाराज गौतम कृष्ण ने कही. उन्होंने कहा कि उसके बाद द्रोणाचार्य को प्रतिशोध की भावना हो गई और अर्जुन को द्रोणाचार्य बाण की विद्या से संपूर्ण किये. अर्जुन से द्रोणाचार्य ने दक्षिणा में राजा द्रुपद को चरणों में पटक देने की बात कही.
यही हमारी दक्षिणा है. यह सारी बातें सुदामा जी जानते थे इसलिए सुदामा कृष्ण के पास नहीं जाना चाहते थे, लेकिन पत्नी के शब्द के प्रभाव के कारण सुदामा जी कृष्ण के पास गए और राजा द्रुपद के ठीक विपरित सम्मान मिला और सुदामापुरी तैयार हो गया. इसलिए दोस्ती अपने समान मैं नहीं करना चाहिए.
वहीं महाराज कृष्ण गौतम की विदाई दी गयी. वहीं मूर्तियों का धूमधाम से विसर्जन किया गया. मौके पर शैलेंद्र सुमन, सुबोध कुमार, अध्यक्ष त्रिरपुरारी तिवारी, सरपंच अच्छेलाल भगत, मुन्ना सागर, सुबोध कुमार सिंह, चंदन मिश्रा, सुबोध तिवारी, रमेश पांडेय, रामप्रवेश सिंह, राजकुमार पांडेय, कविंद्र ठाकुर, सुनील कुमार, अभिषेक कुमार, अजय कुमार सिंह, सियाराम कुंवर, राजीव कुंवर, धीरज सिंह, अरविंद कुवर, शंभु कुंवर, सुरेंद्र प्रसाद, बच्चा तिवारी आदि सैकड़ों भक्तजन व गण्यमान्य लोग मौजूद थे.