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नहीं हो रहा सूचना के अधिकार का पालन
अनदेखी : जिले के किसी भी विभाग से नहीं मिल रही सूचना, लोग हो रहे परेशान बक्सर : जिले में सूचना का अधिकार का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है. इसके कारण सूचना प्राप्त करनेवाले लोग विभाग का चक्कर लगा थक जाते हैं. इन पर अंकुश लगाने के लिए अधिनियम में कई नियम बने […]
अनदेखी : जिले के किसी भी विभाग से नहीं मिल रही सूचना, लोग हो रहे परेशान
बक्सर : जिले में सूचना का अधिकार का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है. इसके कारण सूचना प्राप्त करनेवाले लोग विभाग का चक्कर लगा थक जाते हैं. इन पर अंकुश लगाने के लिए अधिनियम में कई नियम बने हैं. बावजूद विभाग अपनी मनमानी से बाज नहीं आता और लोगों को परेशान करता है.
बीते कुछ वर्षो में जिले में सूचना के अधिकार से जहां आम आदमी को हक और अधिकार मिला, वहीं कई महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार का खुलासा भी हुआ. जानकार बताते हैं कि सरकार या पदाधिकारी इसे धारदार बनाने में लापरवाही बरतते हैं, ताकि उनकी जान बची रहे.
इन विभागों से सबसे अधिक मांगी जाती सूचना
सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग से सूचना मांगी जा रही है. लोक सूचना कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में पिछले वर्ष और इस वर्ष भी सबसे ज्यादा आवेदन आये हैं. इसके बाद विद्युत विभाग, नहर विभाग, डीआरडीए से भी सूचना अधिक मांगी जाती है. सबसे कम सूचना चकबंदी विभाग से मांगी जाती है.
क्या है सूचना का अधिकार
लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम आदमी देश का असली मालिक होता है. इसलिए उसे यह जानने का हक है कि जो सरकार उसकी सेवा के लिए बनायी गयी है वह क्या, कहां और कैसे कर रही है. हर नागरिक सरकार को चलाने के लिए टैक्स देता है. इसलिए नागरिकों को भी यह जानने का हक है कि उनका पैसा कहां खर्च किया जा रहा है. जनता के यह जानने का अधिकार भी सूचना का अधिकार है. वर्ष 2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के नाम से जाना जाता है.
ये विभाग हैं शामिल
सभी सरकारी विभाग पब्लिक सेक्टर यूनिट, किसी भी सरकारी सहायतार्थ से चल रही गैर सरकारी संस्थाएं .
उपलब्धि एक
सूचना के अधिकार से मिलीं उपलब्धियां
जिले में साढ़े 12 हजार करोड़ का सोलर घोटाला सामने आया. जिले की 142 पंचायतों में छह को छोड़ सभी जगहों के मुखिया, पंचायत सचिव, बीडीओ इसके लिए दोषी पाये गये हैं. यहां तक की डीडीसी को भी जांच के घेरे में रखा गया है. 28560 रुपये की सोलर लाइट की 40 हजार, 45 हजार और 50 हजार में खरीदारी की गयी थी. इसका खुलासा आरटीआइ के माध्यम से हुई. बक्सर जिले के अलावा भोजपुर और वैशाली में भी इसका खुलासा हुआ है.
उपलब्धि दो
वर्ष 2011-12 में पवनी में मजदूरों के नाम पर 96 हजार रुपये मजदूरी की फर्जी निकासी हुई थी. आरटीआइ के तहत मांगी गयी सूचना से इसका खुलासा हुआ. सरकारी कोष में इसका पैसा वापस दिलाया गया.
उपलब्धि तीन
पवनी पंचायत में पहली बार सभी विभागों का सोशल ऑडिट जनता के बीच कैंप लगा कर कराया गया था, जिसमें भ्रष्टाचार के कई मामलों का खुलासा हुआ था. इस मामले में कई लोगों पर कार्रवाई भी हुई थी.
उपलब्धि चार
भोजपुर के दुलौर के रहनेवाले कृष्ण देव पांडेय बक्सर निबंधन कार्यालय में कार्यरत थे. इन्हें यहां से सासाराम विरमित किया गया. लेकिन, विरमित पत्र नहीं दिया गया. यहां तक कि अंतिम वेतन प्रमाणपत्र एलपीसी भी गुम करा दिया गया. श्री देव ने सूचना के अधिकार के तहत एलपीसी के बारे में सूचना मांगी और विरमित करने की तिथि पूछी है. विभाग ने अब तक पिछले तारीख में विरमित पत्र उपलब्ध कराया है.
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