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दानिश को जीवन मिलने की जगी उम्मीद

बक्सर : थैलेसीमिया से पीड़ित चार वर्षीय दानिश के इलाज की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. दानिश को अब अपने इलाज के लिए दूसरे भाई या बहन के दुनिया में आने का इंतजार है. दानिश की मां को अगले माह बच्च होने वाला है. बच्चे की नाभी के खून से उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू […]

बक्सर : थैलेसीमिया से पीड़ित चार वर्षीय दानिश के इलाज की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. दानिश को अब अपने इलाज के लिए दूसरे भाई या बहन के दुनिया में आने का इंतजार है.

दानिश की मां को अगले माह बच्च होने वाला है. बच्चे की नाभी के खून से उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू होगी. थैलेसीमिया पीड़ित बेटे का इलाज संभव होने की खबर से पिता मो. अलिताफ और मां शमशाद बेगम की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े. माता-पिता थैलेसीमिया से पीड़ित बेटे को निरोग होने से नाउम्मीद हो चुके थे.

नगर के नमक गोला निवासी दानिश के पिता एवं मां ने बताया कि उनका पुत्र जन्म से ही थैलेसीमिया से पीड़ित है. उसे जिंदा रहने के लिए प्रत्येक माह दो यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है. उन्होंने बताया कि बड़ी मुश्किल से चार वर्षो तक बेटे की जिंदगी के लिए खुराक की तरह ब्लड की व्यवस्था करते रहे हैं. उसके इलाज में करीब दस लाख रुपये का खर्च है, लेकिन इलाज की पद्धति बड़ी ही जटिल है.

इस वजह से अब तक इलाज संभव नहीं हो पाया था. जिले के अस्पतालों से दानिश के इलाज के लिए किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता अब तक नहीं मिली है. इसलिए मो. अलिताफ ने कोर्ड लाइफ साइंसेस कंपनी को बेटे के इलाज की जिम्मेवारी सौंपी है. इलाज के लिए दानिश को स्टेम सेल से बने मेडिसिन की जरूरत है, जिसे उक्त कंपनी बनाती है. मेडिसिन बनाने की पहली प्रक्रिया में रजिस्ट्रेशन के लिए कंपनी के एरिया मैनेजर दानिश के घर पहुंचे थे.

मेडिसिन बनाने के लिए मैनेजर ने दानिश के लिए रजिस्ट्रेशन किया. कंपनी द्वारा बनाने गये मेडिसिन से पंश्चिम बंगाल के सिलिगुडी के एक मात्र पांच वर्षीय बच्चे का ऑपरेशन हुआ. इलाज के लिए अन्य लोगों ने भी अपना रजिस्ट्रेशन कराया है.

* क्या है थैलेसीमिया
चाईल्ड रोग विशेषज्ञ डॉ तनवीर फरीदी ने बताया कि थैलेसीमिया में हिमोग्लोबीन का स्तर शरीर में गिर जाता है, जिससे शरीर में खून बहुत कम बन पाता है. ऐसे में शरीर पीला पड़ने लगता है और कमजोर हो जाता है. इस रोग में चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगना, नींद नहीं आने का लक्षण पाया जाता है. इसका निवारण नहीं के बराबर होता है.

* क्या है निराकरण
थैलेसीमिया को ठीक करने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है. इसके लिए रोगी के भाई या बहन के जन्म के समय नाभी से खून को इकट्ठा कर उसे कई प्रक्रियाओं में रिफाइन कर -196 डिग्री सेल्सियस पर रख स्टेम सेल तैयार किया जाता है. इसी स्टेम सेल को रोगी के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है, जिससे रोगी के शरीर में हिमोग्लोबीन की औसत मात्र सामान्य होने लगती है और वह ठीक हो जाता है.

दानिश की मां ने बताया कि वे एक बच्चे को जन्म देने वाली है. दानिश को अपने इस नये भाई या बहन का इंतजार है, जिसके ब्लड से ही दानिश को नयी जिंदगी मिलेगी. कंपनी के एरिया मैनेजर रविचंद्रा ने बताया कि स्टेम सेल को 21 वर्षो तक विशेष रखरखाव में जीवित रखा जाता है. इस बीच कभी भी रोगी में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

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