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ट्रांसफर का ” राज ” भी नहीं खुला ” पत्र ” का भी नहीं लगा अता-पता

19 जुलाई 2014 के पत्र ने सृजन समिति को करोड़ों का बनाया मािलक भू अर्जन पदाधिकारी ने सृजन समिति के खाते में जमा कराने का लिखा पत्र भागलपुर : पीरपैंती थर्मल पावर प्रोजेक्ट की 120 करोड़ की भू अर्जन की राशि के अवैध निकासी में तो घोटालेबाजों ने अनियमितता की हद कर दी. तत्कालीन भू […]

19 जुलाई 2014 के पत्र ने सृजन समिति को करोड़ों का बनाया मािलक

भू अर्जन पदाधिकारी ने सृजन समिति के खाते में जमा कराने का लिखा पत्र
भागलपुर : पीरपैंती थर्मल पावर प्रोजेक्ट की 120 करोड़ की भू अर्जन की राशि के अवैध निकासी में तो घोटालेबाजों ने अनियमितता की हद कर दी. तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह ने फर्जीवाड़े को तीन चरणों में अंजाम तक पहुंचाया और पूरी राशि सृजन समिति के खाते में ट्रांसफर कर दी गयी. उक्त पदाधिकारी ने जिस बैंक में सरकारी खाता था, उसी बैंक में सृजन समिति के खाते में राशि जमा करने का पत्र कार्यालय से जारी कर दिया. इस तरह सृजन समिति के खाते में बैंकर्स चेक जमा होने से लेकर काम पूरा होने तक की प्रक्रिया का राज किसी के पास नहीं खोला गया. सीबीआइ की जांच में भी पत्र का अता-पता कार्यालय के रेकॉर्ड में नहीं चला. तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी और नाजिर ने सृजन समिति के खाते में पैसा जमा करने को भी कार्यालय के अकाउंट रजिस्टर में उल्लेख नहीं किया. वहीं बैंक में भी सरकारी राशि के ट्रांसफर होने के दौरान विभाग के पत्र को संलग्न नहीं किया गया.
भू अर्जन कार्यालय के कैश बुक रजिस्टर में सरकारी खाता में जमा का हुआ उल्लेख
राशि भुगतान में विभागीय पत्र को नहीं किया संलग्न, पे-इन स्लिप से ट्रांसफर हुई राशि
अवैध निकासी के बिंदु पर सीबीआइ ने उठाये सवाल
अपने खाते में नही दी राशि
कार्रवाई: 19 जुलाई 2014 को तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी ने पत्र संख्या-24 के माध्यम से बैंक ऑफ बड़ौदा को चिट्ठी लिखी. कहा गया कि बैंक ऑफ बड़ौदा में सृजन महिला विकास सहयोग समिति का खाता है. इसमें पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट की योजना के नाम से आये दो बैंकर्स चेक (60 करोड़ तीन लाख 32 हजार व 60 करोड़) की राशि जमा कर दिया जाये, जिससे गांव में बसे संबंधित जमीन मालिक को मुआवजा दिया जा सके. सीबीआई ने उक्त पत्र को जांच के दौरान भू अर्जन कार्यालय के रेकार्ड में खोजा ताे इस तरह को पत्र नहीं मिला.
सीबीआइ ने पकड़ा फरेब
बैंक ऑफ बड़ौदा में भू अर्जन पदाधिकारी के नाम से बैंक खाता खुला हुआ था. जब संबंधित बैंक के दूसरे खाते से गांव के जमीन मालिक को मुआवजा दिया जाता तो फिर सरकारी खुले खाते से करने में क्या दिक्कत थी. इस तरह गलत नियत से भू-अर्जन पदाधिकारी ने सृजन समिति के खाते में राशि ट्रांसफर करवाई जिसकी कोई जरूरत नहीं थी.
िवभागीय पत्र को छिपाया
कार्रवाई: तत्कालीन बैंक ऑफ बड़ौदा के क्लर्क संत कुमार सिन्हा ने भू अर्जन कार्यालय से भेजे गये पीरपैंती थर्मल पावर प्लांट की योजना के नाम से आये दो बैंकर्स चेक (60 करोड़ तीन लाख 32 हजार व 60 करोड़) का पे-इन स्लिप भरकर भुगतान के लिए दिया. यह पे-इन स्लिप तत्कालीन वरीय प्रबंधक वरुण कुमार के निर्देश पर बढ़ाया गया.
सीबीआइ ने पकड़ा फरेब
पूरी प्रक्रिया में सही बैंकर्स चेक को अधिकारियों के सामने पेश नहीं किया गया. नियम है कि अगर कोई बैंक सरकारी विभाग या एजेंसी से कोई चेक आदि भुगतान का पत्र प्राप्त करता है तो क्रेडिट वाउचर में पत्र को भी संलग्न करता है. इस तरह क्रेडिट वाउचर के साथ लगे पत्र को संबंधित वरीय पदाधिकारी क्रास (देख लेने का चिह्न) कर देते हैं. संबंधित पत्र को बैंक के अधिकारी ने कोई पाबती नहीं किया. इस कारण 21 जुलाई 2014 को सृजन समिति के खाते में 120 करोड़ की राशि दे दी गयी.
रजिस्टर में नहीं दिखाया
कार्रवाई: बैंक ऑफ बड़ौदा ने भू अर्जन पदाधिकारी के पत्र के साथ भेजे गये दो बैंकर्स चेक की राशि सृजन समिति के खाते में ट्रांसफर कर दी और उसका पाबती पत्र भू अर्जन पदाधिकारी को दिया. डाक में पत्र को तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह ने देखा और ‘ OK SEEN ‘ लिख दिया. इसका मतलब जो उन्होंने बैंक को कहा, वैसा हो गया.
सीबीआइ ने पकड़ा फरेब
तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह के निर्देश पर आरोपित नाजिर राकेश झा ने सृजन समिति के खाते में 120 करोड़ की राशि जमा करने की बात का उल्लेख कार्यालय के बैंक खाता रजिस्टर में उल्लेख नहीं किया. रजिस्टर में उक्त राशि के दो बैंकर्स चेक को भू अर्जन पदाधिकारी के नाम से बैंक ऑफ बड़ौदा में खुले खाता में जमा कराने का उल्लेख किया.

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