बेतिया. रामकृष्ण विवेकानंद एडुकेशनल सोसाइटी एवं बिहार बंगाली समिति के संयुक्त तत्वाधान में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की 164वीं जयंती भारतीय संस्कृति एवं मूल्य परक चेतना के संवाहक के रूप में सादगी पूर्ण तरीके से मनाई गई. कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत गुरुदेव की तस्वीर पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि, दीप प्रज्वलन और अतिथि सम्मान के साथ हुई. पुनः संस्थान के छात्रों ने बंगला में मधुर स्वागत गायन प्रस्तुत किया.
निदेशक डॉ मदन बनिक ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों एवं उपस्थित सज्जन ब्रिंदों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि मौजूदा परिदृश्य में गुरुदेव को चिंतन एवं कार्य निराश लोगों के लिए प्रकाश पुंज के समान है. प्रखर वक्ता डॉ दिवाकर राय ने अपने संबोधन में गुरुदेव को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि यह बड़े ही अचरज की बात है कि बगैर नियमित पारंपरिक शिक्षा को हासिल किए एक व्यक्ति उम्दा रचनाकार, प्रथम नोबेल साहित्य का गैर यूरोपीय विजेता बन सकता है. डॉ रमेश कुमार डेमोक्रेट ने टैगोर के मानवतावादी पक्ष को रखते हुए उद्वरण दिए. मुख्य अतिथि डॉ परमेश्वर भक्त में गुरुदेव की रचना में भारतीय संस्कृति के बहुविधि विशेषताओं को समाहित करने वाला बताया. कवि एवं वरीय साहित्यकार डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना ने अपने काव्य पाठ “सांसों पर हिंदुस्तान रहेगा के माध्यम से पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिकार स्वरूप भारतीय सेना के गौरव का गान किया “. कवि अरुण गोपाल ने अपने काव्य पाठ में मातृ वंदना को उद्घाटित किया. कवि जय किशोर जय ने अपने काव्य-पाठ में भारतीय एकता को मजबूत करने तथा प्रो कमरू जमा ने प्रेम के छंद सुनाएं. डॉ राजेश चंदेल ने भावना प्रधान काव्य पाठ किया. विशिष्ट अतिथि प्रो डॉ आर.के चौधरी ने ऐसे कार्यक्रम की उपयोगिता पर बल देते हुए इसके सामाजिक परिपेक्ष को रखा. धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक मनोज कुमार तथा मंच संचालन प्रकाश फिडेलिसऔर जानवी भावल ने किया. इस मौके पर विद्यालय प्राचार्य राधाकांत देवनाथ, इंद्रजीत चक्रवर्ती, विपुल भट्टाचार्य, भास्कर भौमिक, राधेश्याम गुप्ता, पवन कुमार, बाणी दास,अनिमा सरकार, विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं और रीड संस्थान के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही.
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