मंझौल/चेरियाबरियारपुर. सनातन धर्म में वर्णित भगवान के अवतारों का महत्त्व कालजयी है. भगवान की लीलाएं देश, काल एवं वातावरण की सीमाओं से भी परे है. यही कारण है कि हमें भगवान की लीलाओं को विवेचन केवल भारतीय संदर्भ ही नहीं अपितु वैश्विक परिप्रेक्ष्य में करना चाहिए. क्योंकि भगवान का अवतार केवल बस केवल मानव कल्याण के निमित्त हुआ है. उक्त बातें मंझौल में चल रही नव दिवसीय श्रीमद्भागवत कथाक्रम में आज व्यास पीठ से परम पूज्य प्रेमाचार्य पीताम्बर जी महाराज ने भगवान की विभिन्न लीलाओं विशेषकर भगवान वामन के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कही. उन्होंने बताया कि भगवान वामन विष्णु के अवतार हैं. त्रेतायुग के प्रारम्भ होने में भगवान विष्णु ने बक्सर में मां गंगा के तट पर सिद्धाश्रम स्थल पर वामन रूप में देवी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए. इसीलिए इस स्थान को वामन जन्मस्थली एवं वामनाश्रम भी कहते हैं. इसके साथ ही यह भगवान विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे. जो मानव रूप में प्रकट हुए.
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