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कान की बीमारी को नहीं करें नजरअंदाज: डॉ रोशन

बेगूसराय : कम सुनाई देना, कान में दर्द या खारिश होना कुछ अन्य आम समस्याएं होती हैं जो किसी न किसी प्रकार कान बहने की समस्या से जुड़ी होती हैं. कान के बाहर या भीतर पानी जैसे रंगहीन तरल पदार्थ या मवाद या खून के रिसाव को ही आम बोलचाल की भाषा में कान बहना […]

बेगूसराय : कम सुनाई देना, कान में दर्द या खारिश होना कुछ अन्य आम समस्याएं होती हैं जो किसी न किसी प्रकार कान बहने की समस्या से जुड़ी होती हैं. कान के बाहर या भीतर पानी जैसे रंगहीन तरल पदार्थ या मवाद या खून के रिसाव को ही आम बोलचाल की भाषा में कान बहना कहते हैं.

कान बहने का शिकार कोई भी व्यक्ति हो सकता है परंतु बच्चों, कुपोषित लोगों, मियादी बुखार के रोगियों तथा तैराकों में इसके होने की संभावना ज्यादा होती है. वायु प्रदूषण, एलर्जी की समस्याएं, गले में संक्रमण, चिकनपॉक्स, मक्स और रूबैला जैसे बुखार, कुपोषण तथा अस्वास्थ्यकर परिस्थितियां भी कान बहने में अहम भूमिका निभाती हैं.
कई बार दांतों का इंफेक्शन भी कान बहने का कारण बन सकता है. उक्त बातें खगेंद्र वैभव अस्पताल के सभागार में कान की बीमारी को लेकर आयोजित सेमिनार में ईएनटी डॉ रोशन कुमार ने कही. उन्होंने कहा कि कान का पर्दा फटने पर दो प्रकार से संक्रमण होता है. पहला कान के पर्दे में सुराख द्वारा और दूसरा पर्दे के साथ-साथ मध्य कान की हड्डी का भी संक्रमित हो जाना. कान और मस्तिष्क के बीच एक पतली सी हड्डी होती है.
जब पर्दे के किनारे पर सुराख होता है तब इंफेक्शन मेस्टायड यहां से संक्रमण रक्त वाहिनियों के रास्ते मस्तिष्क, उसे घेरने वाली झिल्ली, फेसियल नर्व तथा आंतरिक सतह तक पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि इससे मस्तिष्क की सूजन, चेहरे की मांसपेशियों में लकवा, चक्कर आने जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है. यदि ऐडीनायडस अथवा टांसिल्स के कारण इंफेक्शन हो तो उसे दवा देकर ठीक किया जा सकता है.
बाहरी कान में चोट लगने, फोड़ा-फुंसी होने या फफूंद लगने पर कान बहने की समस्या हो सकती है. मध्य कान एक नली द्वारा नाक के पिछले तथा गले के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होता है. इससे भी यदि स्थिति न सुधरे तो इंफेक्टेड एडिनायड तथा टांसिल्स को ऑपरेशन द्वारा निकाल दिया जाता है. कान के पूरी तरह सूख जाने के बाद तथा रोग की आक्रामकता शांत हो जाने के बाद ऑपरेशन द्वारा पर्दे के सुराख को बंद कर दिया जाता है.
कान बहने के क्या हैं कारण
किसी भी प्रकार का वायरल, बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन कान बहने का कारण हो सकता है. यह बीमारी जन्म से नहीं होती परंतु इसके अनेक कारण हो सकते हैं. बाहरी कान में चोट लगने, फोड़ा-फुंसी होने या फफूंद लगने पर कान बहने की समस्या हो सकती है. छोटे शिशु को ठीक से लिटाकर दूध नहीं पिलाने के कारण भी मध्य कान में संक्रमण हो जाता है. इस मौके पर डॉक्टर भाव्या,डॉ अमित गौरव समेत अन्य लोगों ने भी संबोधित किया.

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