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झारखंड में चलता है 50 पैसे का सिक्का, बिहार में क्यों नहीं

क्या आपको पता है कि आपको रोजाना तीन से पांच रुपये का चूना लग रहा है, इसके लिए कोई नहीं आप स्वयं जिम्मेवार भी हैं. आप सब्जी खरीदने जाते हैं, उस वक्त अगर कोई सामान 15 रुपये किलो है और आप आधा किलो ही खरीद करते हैं, तो आपको लग गया 50 पैसे का चूना, […]

क्या आपको पता है कि आपको रोजाना तीन से पांच रुपये का चूना लग रहा है, इसके लिए कोई नहीं आप स्वयं जिम्मेवार भी हैं. आप सब्जी खरीदने जाते हैं, उस वक्त अगर कोई सामान 15 रुपये किलो है

और आप आधा किलो ही खरीद करते हैं, तो आपको लग गया 50 पैसे का चूना, लेकिन आरबीआइ के अनुसार 50 पैसे का सिक्का अब भी चल रहा है.

बांका : अगर आप सोचते हैं 50 पैसे का सिक्का नहीं चलता है, तो यह आपकी भूल है. आरबीआइ के अनुसार 50 पैसे का सिक्का अब भी चल रहा है. इसलिए अगर आप सजग नहीं हैं
तो, दवाई, कपड़े, पेट्रोल, डीजल सहित अन्य जरूरी व रोजाना खर्च होने वाले समान की खरीदारी पर आपको तीन से पांच रुपये का चूना या कहें घाटा लगेगा.
हालांकि अगर जरूरत पड़ने पर आपके पास 50 पैसा नहीं रहा, तो रेल प्रशासन आपको टिकट मुहैया नहीं करायेगा.और बिना टिकट यात्रा करने के दौरान पकड़े जाने पर आपको छह माह का कारावास या 5000 रुपया का अर्थदंड देना होगा. दोनों सजा साथ-साथ भी हो सकती है.
रोजाना जिले से जाते है लगभग 60 लाख रुपये: पूरे देश के 38 राज्य में से 23 राज्य में अब भी 50 पैसे के सिक्के चल रहे हैं, लेकिन बिहार में यह बंद हो चुका है. सबसे छोटे सिक्के के तौर पर बिहार में एक रुपये का सिक्का चल रहा है.
जब आप बाजार जाते हैं तो अगर आपके सामान का मूल्य 11.50 रुपया होता है तो दुकानदार आपसे 12 रुपया ले लेता है. अगर आप जिद्द करने लगते है तो आपको एक पचास पैसे वाला चॉकलेट दे देता है.
अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपको लग गया पचास पैसे का चूना. इस प्रकार आप प्रतिदिन तीन-पांच रुपये बरबाद कर रहे है. अगर आपके पॉकेट से इस प्रकार प्रतिदिन तीन से पांच रुपया जाता है तो जिले(वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार आबादी 20 लाख से अधिक ) से रोजाना कम से कम 60 लाख रुपये इधर से उधर हो रहे हैं.
बिहार सरकार के वित्त विभाग ने मामले को टाला: अधिवक्ता राम जीवन पोद्दार ने वित्त विभाग से इस मामले में दखल देने तथा 50 पैसे के सिक्के नहीं चलने संबंधी जानकारी मांगी थी.
इस पर सरकार के वित्त विभाग के अवर सचिव सह लोक सूचना पदाधिकारी सुधीर कुमार दूबे ने अपने कार्यालय पत्रांक 1346 दिनांक 03-9-15 के तहत सात दिनों के अंदर सूचना उपलब्ध कराने की बात कहीं थी, लेकिन आज तक उनके द्वारा इस संबंध में कोई दूसरा पत्र निर्गत नहीं किया गया.

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