औरंगाबाद/कुटुंबा
सनातन संस्कृति में सदियों से हनुमान जयंती मनाने की परंपरा चली आ रही है. भगवान हनुमान त्रेतायुग में धरती पर प्रकट हुए थे. शास्त्रों के अनुसार वे आज कलियुग में भी धरा पर विराजमान हैं. हनुमान को शिव का रूद्र अवतार व अंजनी के पुत्र के रूप में माना जाता है. जो लोग श्रद्धा भाव से हनुमान की पूजा करते हैं, उन्हें कष्टों से निजात मिलता है. ज्योतिर्विद डॉ हेरंब कुमार मिश्र ने बताया कि दक्षिणात्य मत के अनुसार मनाई जानेवाली हनुमान जयंती आज शनिवार को श्रद्धा भक्ति पूर्वक धूमधाम से मनायी जायेगी. यह प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्लपक्ष पूर्णिमा को मनायी जाती है. दक्षिण भारत में तो यह अतिआनंद का उत्सव माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु भक्त व्रतोपवास रखकर हनुमत लला का पूजन, आराधन करते हैं.हनुमान जी के नामों का अलग-अलग है महत्व:
हनुमानजी के नाम के अलग-अलग महत्व हैं. संकट के दौर में हनुमान जी की कृपा से नकारात्मक शक्ति से निजात पाने के लिए महावीर बजरंगबली के नाम से पुकारे जाते हैं. ज्योतिर्विद ने बताया कि हनुमान जी को अंजनीनंदन, आंजनेय, केशरीनंदन, शंकर सुवन, पवनतनय आदि विविध नामों से जाना जाता है. पौराणिक ग्रंथों में इनके जन्म से जुड़े विभिन्न आख्यान प्राप्त होते हैं. बाल्यकाल से ही ये काफी बलशाली एवं चंचल थे. बचपन में सूर्य को लाल फल समझकर अपने मुख में ले लिए थे. मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं.चिरंजीवी हैं हनुमान जी
ज्योतिर्विद डॉ मिश्र ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, हनुमत लला चिरंजीवी हैं और आज भी जहां-जहां भगवत कथा व कीर्त्तन अनुष्ठान होते हैं. वहां किसी न किसी रूप में ये अवश्य विराजमान होकर भगवान की लीला गान का श्रवण करते हैं. यदि प्रभु श्रीराम की कृपा का फल प्राप्त करना हो तो हनुमान जी का ध्यान अवश्य करना होगा. “राम दुआरे तुम रखवारे… “. श्रीराम जी ने स्वयं कहा है कि हनुमान का भजन करने से मुझे प्रसन्नता होती है: “तुम्हरे भजन राम को भावै ”हनुमान जयंती पर मिल रहा है दुर्लभ संयोग:
ज्योतिर्विद सह रामकथा वाचक डॉ मिश्र ने बताया कि इस वर्ष की हनुमत जयंती पर बड़ा ही दुर्लभ संयोग मिल रहा है. शनिवार के दिन हनुमान जयंती पड़ना बड़ा ही विशिष्ट महत्व रखता है. शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि जो भी भक्त आपका भजन, आराधन व पूजन करेंगे उनपर मेरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. उनपर मेरी साढ़ेसाती का भी कोई असर नहीं होगा. मेरे द्वारा जनित सभी पीड़ा से भक्त आपके ध्यानमात्र से ही मुक्त हो जाएंगे. इस दिन पूजन के साथ-साथ हनुमान जी की मूर्त्ति में घी और सिंदूर लगाना चाहिए. उन्हें लाल फूल अर्पित कर उनके सामने दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद बेसन के लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए. उन्होंने बताया कि हनुमान जयंती के दौरान तामसी भोजन ग्रहण करना निषेध है. मनुष्य को सात्विक भोजन करना चाहिए.
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