18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

2015 का तोहफा अनुमंडलीय अस्पताल में सालों भर सर्फि होता रहा कोरम पूरा

2015 का तोहफा अनुमंडलीय अस्पताल में सालों भर सिर्फ होता रहा कोरम पूरा नये साल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की आस दो चिकित्सक, एक लिपिक व तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के सहारे चल रहा अनुमंडलीय अस्पताल अनुमंडलीय अस्पताल में हो रहा है सिर्फ कोरम पूरा,नहीं है कोई व्यवस्था अस्पताल में कई विशेषज्ञ चिकत्सिकों के लिए बने […]

2015 का तोहफा अनुमंडलीय अस्पताल में सालों भर सिर्फ होता रहा कोरम पूरा नये साल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की आस दो चिकित्सक, एक लिपिक व तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के सहारे चल रहा अनुमंडलीय अस्पताल अनुमंडलीय अस्पताल में हो रहा है सिर्फ कोरम पूरा,नहीं है कोई व्यवस्था अस्पताल में कई विशेषज्ञ चिकत्सिकों के लिए बने हैं चेंबर, पर रहता है सब बंद फोटो नंबर-9,10 परिचय-अनुमंडलीय अस्पताल दाउदनगर, अस्पताल में पसरा सन्नाटादाउदनगर (अनुमंडल).29 जनवरी 2015 को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा दाउदनगर अनुमंडलीय अस्पताल का उद्घाटन किया गया था तो लोगों को लगा कि सरकार ने एक अनमोल तोहफा दाउदनगर अनुमंडल को दिया है. लेकिन पूरे वर्ष 2015 के दौरान अनुमंडलीय अस्पताल में सिर्फ एक तोहफा ही बन कर रह गया. स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया नहीं करायी गयी. चिकित्सक के नाम पर सरकार द्वारा डाॅ जेएन चौपाल व डाॅ विक्रम सिंह पदस्थापना की गयी. इनके द्वारा ओपीडी चालू किया जाता है. इसके अलावे इस अस्पताल में किसी प्रकार की कोई नियुक्ति नहीं हुई. फिलहाल एक लिपिक, तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी दाउदनगर पीएचसी से अनुमंडीलय अस्पताल में जाकर काम कर रहे हैं. अस्पताल प्रबंधक व एक डाटा ऑपरेटर अस्पताल में हैं. चिकित्सकों द्वारा ओपीडी तो किया जा रहा है, लेकिन अस्पताल में दवा बांटने वाला भी कोई नहीं है. सूत्रों के अनुसार कभी स्वयं चिकित्सक तो कभी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी दवा बांटने का काम करते हैं. फिलहाल ओपीडी में औसतन डेढ़ दर्जन मरीजों का इलाज प्रतिदिन किया जा रहा है. उपाधीक्षक के प्रभार में दाउदनगर पीएचसी के प्रभारी हैं. इस अस्पताल के ओपीडी में लगभग 31 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. यदि विभागवार देखा जाये तो इस अस्पताल में महिला रोग, हड्डी रोग, शिशु रोग, दंत रोग, नेत्र रोग, न्यूरो चिकित्सक, मेडिसीन चिकित्सक समेत अन्य विशेषज्ञ चिकत्सिकों के लिए अलग-अलग चेंबर बने है, जो बंद भी रहता है. अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, लैब समेत अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. वैसे तो यह अस्पताल 75 बेड वाला है. लेकिन सरकारी स्तर पर अभी तक उतना बेड उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. तीन लेबर टेबल प्रसव कक्ष में उपलब्ध है. एनएसयूबी स्थापित हो चुका है. पेयजल मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. पानी पीने के लिए सिर्फ एक आरो लगाया गया है. विभागीय सूत्रों ने बताया कि सुचारू रूप से इस अस्पताल के चलाने के लिए पर्याप्त संख्या में चिकित्सक, पारा मेडिकल स्टाप व स्वास्थ्य संसाधन की आश्यकता है. तत्कालिक तौर पर विशेषज्ञ चिकित्सों के साथ-साथ पारा मेडिकल स्टाप रहने पर ही इसका लाभ समुचित तरीके आम जनता को मिल पायेगा. स्वास्थ्य सुविधा मुहैया होने के इंतजार में 2015 तो समाप्त हो गया. अब देखना यह है कि वर्ष 2016 में कब तक इस अस्पताल का लाभ आम जनता को मिल पाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें