पटना: बिहार में स्थानीय निकायों के माध्यम से विधान परिषद चुनाव में भाजपा नीत राजग को अधिकतम सीट मिलने के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि चुनावी नतीजे जनमत का अक्स नहीं है क्योंकि इसमें आमजन ने नहीं बल्कि सीमित संख्या में मतदाताओं ने भाग लिया है.
कुमार ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘चुनाव स्थानीय स्तर पर लडा गया है जिसमें सीमित संख्या में मतदाताओं ने हिस्सा लिया है..यह जनमत को प्रतिबिंबित नहीं करता.’’ उल्लेखनीय है कि 24 सीटों में से 13 में एनडीए ने जीत हासिल की है.
यह चुनाव नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के एक साथ आने के बाद पहली परीक्षा थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि हर चुनाव जद (यू) के लिए अहम है, उनकी पार्टी कमियों को चिह्नित करेगी और उसे दूर करने की कोशिश करेगी. उन्होंने चुनावी नतीजों पर खुशिया मनाने पर भाजपा की चुटकी ली और कहा, ‘‘अगर वे खुशफहमी में जीना चाहते हैं तो उन्हें कौन रोक सकता है. लेकिन चुनावी नजीजे भविष्य के रुझान नहीं दर्शाते.’’ कुमार ने कहा कि भगवा पार्टी ने विधान परिषद सीटों के लिए जद (यू) और राजद से उम्मीदवार उधार लिए जिनका अपने इलाकों में असर है और इसने नतीजों को उनके पक्ष में कर दिया.
वहीं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इस चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली लेकिन कहा कि नतीजों का कोई प्रभाव इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर नहीं होगा. प्रसाद ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘नतीजे उतने अच्छा नहीं हैं जितना होना चाहिए थे. मैं इसपर कुछ नहीं कहने जा रहा हूं कि हमारी विपक्षी पार्टियों ने किस तरह की रणनीति अपनाई और कैसे लोगों को उन्हें वोट देने के लिए बाध्य किया गया.’’ राजद अध्यक्ष ने कहा, ‘‘विधान परिषद चुनाव में जनता शिरकत नहीं करती है. मतदाता मुखिया और नगर पार्षद जैसे स्थानीय निकायों के सदस्य थे.
अत:, नतीजों का विधानसभा चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं होगा जिसमें आमजन मतदान करेंगे.’’ प्रसाद ने हमेशा कहा था कि विधानपरिषद चुनाव में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन की जीत होगी. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के दलों के बीच वोट का बंटवारा कुछ सीट पर हार का एक कारक हो सकता है जिसमें उनकी पार्टी ने हिस्सा लिया था. उन्होंने कहा, ‘‘हमने सीवान, गोपालगंज और सारण जैसी सीटें बहुत कम अंतर से हारी हैं. हमारे वोटों का बंटवारा इन जगहों पर हार का एक कारक हो सकता है.’’

