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शराबबंदी कानून को चुनौती देने में चली गयी सात माह में 30 लोगों की जान, शराब पीने के चक्कर में पी गये जहर

बिहार में जब से शराबबंदी कानून बना है उस वक्त से कुछ लोग इस कानून को चुनौती देते आ रहे हैं. यह जानते हुए कि शराब की बिक्री बंद है लोग शराब माफिया से ऊंचे दाम चुका कर शराब खरीद रहे हैं.

पटना. बिहार में जब से शराबबंदी कानून बना है उस वक्त से कुछ लोग इस कानून को चुनौती देते आ रहे हैं. यह जानते हुए कि शराब की बिक्री बंद है लोग शराब माफिया से ऊंचे दाम चुका कर शराब खरीद रहे हैं. ऐसे में शराब की जगह माफिया जहर बेच रहा है और आये दिन इससे लोगों की जान जा रही है. शनिवार को ही मुजफ्फरपुर जिले में जहरीली शराब पीने से आठ लोगों की मौत हो गयी.

कहने को नीतीश सरकार ने शराबबंदी को लेकर राज्य में कड़े कानून बना रखे हैं, लेकिन कानून को चुनौती देते हुए शराब की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है और लोग तस्कर से शराब खरीद कर पी रहे हैं. हालांकि पुलिस कभी-कभी अवैध शराब को बरामद कर जब्त करने का काम करती रही है, लेकिन जब बेचनेवाले और पीनेवाले का गठबंध हो तो पुलिस उनके आगे भी बेसर हो जाती है. आंकड़ों पर गौर करे तो मार्च 2021 से लेकर अब तक जहरीली शराब पीने से 30 लोगों की मौत हो चुकी है.

इसी साल नवादा शहरी इलाके में होली के दौरान कथित जहरीली शराब पीने से 15 लोगों की मौत हो गई थी. 31 मार्च से 02 अप्रैल 2021 के बीच अलग-अलग जगहों पर इलाज के क्रम में चार अन्य लोगों के आंखों की रोशनी चली गयी थी.

वहीं इसी माह सीवान जिले के गुठनी थाना क्षेत्र में शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गयी. मृतकों के परिजनों ने कहा कि जहरीली शराब पीने से ही उनकी मौत हुई है. इसके अलावा वैशाली में अक्टूबर के महीने में जहरीली शराब से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. हर मौत के बाद विपक्ष यह सवाल उठाता है कि शराबबंदी के बावजूद लोगों को शराब मिल रही है.

परिजन कहते हैं कि जहरीली शराब पीने के कारण मौत हुई, लेकिन कानून को चुनौती देनेवाले शराबियों के अपराध पर कोर्ट ने साफ शब्दों में कह रखा है कि इन मौतों के लिए किसी प्रकार की सहायता या मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. कानून तोड़ना एक अपराध है और अपराध करने के लिए मुआवजा संभव नहीं है. शराबबंदी कानून के प्रति लोगों में जागरुकता और परिजनों को जहर पीने से रोकने की पहल ही इन घटनाओं पर अंकुश लगा सकती है.

Posted by Ashish Jha

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