Asia Cup 2025: सूर्यकुमार यादव की अगुवाई वाली भारतीय टीम मंगलवार से शुरू होने वाले एशिया कप टी20 टूर्नामेंट पाकिस्तान और श्रीलंका के मौजूदगी के बावजूद खिताब के प्रबल दावेदार के रूप में शुरूआत करेगा. टूर्नामेंट की शुरुआत अफगानिस्तान और हांगकांग के बीच अबू धाबी में होने वाले मैच से होगी, लेकिन सभी की निगाहें दुबई पर टिकी होंगी, जहां सितारों से सजी भारतीय टीम बुधवार को अपने पहले मैच में संयुक्त अरब अमीरात पर बड़ी जीत हासिल करने के इरादे से मैदान पर उतरेगी.
एशिया कप इससे पहले टी-20 विश्व कप के लिए ड्रेस रिहर्सल के रूप में काम करता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इसके बावजूद भारतीय टीम एशिया में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेगी. भारत का एशिया कप में रिकॉर्ड अच्छा रहा है और इस बार तो पूरा शक्ति संतुलन उसके पक्ष में झुका हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में उसे हराना किसी भी टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी.
भारतीय टीम को लेकर आत्मविश्वास इतना अधिक है कि चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर और मुख्य कोच गौतम गंभीर ने एक बार भी एशियाई क्रिकेट परिषद द्वारा स्वीकृत 17 सदस्यीय टीम चुनने पर विचार नहीं किया. इसके बजाय उन्होंने आईसीसी प्रतियोगिताओं की तरह 15 खिलाड़ियों को चुना, भले ही इसका मतलब श्रेयस अय्यर और यशस्वी जायसवाल जैसे खिलाड़ियों को बाहर रखना हो.
वर्ल्ड कप से पहले तैयारी का भरपूर मौका
नौवीं बार महाद्वीपीय खिताब जीतने से (सात बार वनडे प्रारूप में और वर्ष 2016 में एक बार टी-20 प्रारूप में) न तो सूर्यकुमार को और न ही गंभीर को कोई अतिरिक्त श्रेय मिलेगा. लेकिन ट्रॉफी से कम कुछ भी आलोचनाओं को आमंत्रित करेगा, क्योंकि साढ़े चार महीने बाद भारत और श्रीलंका टी-20 विश्व कप की संयुक्त मेजबानी करेंगे. सूर्यकुमार की टीम विश्व कप से पहले लगभग 20 मैच खेलेगी जिसमें एशिया कप का फाइनल भी शामिल है. भारत इन मैच से विश्व कप के लिए सही संयोजन तैयार करना चाहेगा. भारत इस प्रारूप में इतना मजबूत है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीन टीम उतार सकता है.
सूर्यकुमार और गिल की टीम के आगे बेबस हैं बाकी टीम
सूर्यकुमार अब तक शानदार कप्तान रहे हैं और उनका जीत का रिकॉर्ड 80 प्रतिशत है, लेकिन अब नेतृत्व समूह में उप-कप्तान शुभमन गिल होंगे. इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि टी-20 कप्तान और टेस्ट कप्तान किस तरह एकमत होकर एक ही राग अलापते हैं. वहीं जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों ने टी-20 बल्लेबाजी को नया स्वरूप प्रदान किया है, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमों के लिए उसकी बराबरी करना मुश्किल हो गया है, जो डेढ़ दशक पहले तक बराबरी पर थीं.
आईपीएल के अनुभव को देखते हुए भारत इन टीमों पर और भारी पड़ता है. इसलिए एशिया कप में दिलचस्पी इस बात को लेकर कम है कि इसे कौन जीत सकता है, बल्कि इस बारे में अधिक है कि भारत को कौन रोक सकता है. पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों की टीम परिवर्तन के दौर से गुजर रही हैं और उनके लिए भारत की मजबूत टीम का सामना करना मुश्किल होगा.
पाकिस्तान मुश्किल में, लेकिन ट्राई सीरीज के बाद बढ़ा आत्मविश्वास
पाकिस्तान ने अपने अनुभवी बल्लेबाज बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान को टीम में नहीं चुना है. उसकी सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि शाहीन शाह अफरीदी, हारिस रऊफ और हसन अली आक्रामक भारतीय बल्लेबाजी के सामने कैसी गेंदबाजी करते हैं. पाकिस्तान ने त्रिकोणीय श्रृंखला के कम स्कोर वाले फाइनल में अफगानिस्तान को 75 रन से हरा दिया, जहां शारजाह की धीमी पिच पर उसके स्पिनरों का दबदबा रहा. इस जीत से निश्चित तौर पर उसका आत्मविश्वास बढ़ा होगा.
श्रीलंका, बांग्लादेश और हांगकांग ग्रुप बी में करेंगे भिड़ंत
वहीं चरिथ असलांका की कप्तानी में श्रीलंका का प्रदर्शन भी बुरा नहीं है, लेकिन क्या वे टूर्नामेंट में छह से सात मैच जीतने की निरंतरता बनाए रख पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है. जबकि बांग्लादेश पूरे टूर्नामेंट में चुनौती बरकरार रखने के लिए पर्याप्त आक्रामक नहीं है. ग्रुप बी में हांगकांग के अलावा बांग्लादेश दूसरी ऐसी टीम है जिसके शुरुआती चरण में बाहर होने की पूरी संभावना है.
ऐसे में भारत के सामने एकमात्र बाधा अफगानिस्तान नजर आता है जिसका स्पिन आक्रमण काफी मजबूत है और उसके पास अच्छे बल्लेबाज भी हैं. संयुक्त अरब अमीरात, ओमान और हांगकांग के लिए यह एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है. इस प्रतियोगिता में वह पिछले कुछ वर्षों में अपनी प्रगति का आकलन करना चाहेंगे.
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