Vastu Tips For Home : वास्तु शास्त्र हमारे सनातन धर्म की वह दिव्य विद्या है, जो घर की उन्नति, सुख-शांति और समृद्धि के लिए दिशाओं और स्थानों की पवित्रता का ज्ञान कराती है. यह शास्त्र हमें बताता है कि किन दिशाओं और कोनों का किस प्रकार उपयोग करना चाहिए ताकि घर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार बना रहे. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के कुछ कोने ऐसे होते हैं, जिन्हें कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए, अन्यथा वहां नेगेटिव शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं. आइए जानते हैं ऐसे महत्वपूर्ण कोनों के बारे में:-
– ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा)
ईशान कोण को देवताओं का स्थान माना जाता है. यह दिशा भगवान शिव की है और इसे अत्यंत पवित्र माना गया है. इस कोने को कभी खाली, गंदा या बिखरा हुआ नहीं छोड़ना चाहिए. यहां जल से संबंधित वस्तुएं, तुलसी का पौधा, या पूजा स्थल रखना अत्यंत शुभ होता है. इस कोने में नियमित दीपक जलाएं और भगवान का स्मरण करें.
– अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा)
अग्नि कोण अग्निदेव का स्थान है और यह एनर्जी का प्रतीक है. इस दिशा को खाली रखने से गृहकलह, अस्वस्थता और धन हानि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. यहां रसोईघर, गैस स्टोव या दीपक रखना शुभ होता है. यह कोना हमेशा सक्रिय रहना चाहिए जिससे घर में ऊर्जा और उत्साह बना रहे.
– नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा)
यह दिशा पितरों और स्थायित्व का प्रतीक मानी जाती है. इस कोने को खाली छोड़ना जीवन में अस्थिरता, मानसिक अशांति और रिश्तों में दूरी ला सकता है. यहां भारी वस्तुएं, अलमारी या तिजोरी रखना शुभ होता है. इस कोने में सफाई और संतुलन बनाए रखना विशेष लाभकारी होता है.
– वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा)
वायव्य दिशा वायु तत्व की है और रिश्तों व संचार से जुड़ी होती है. इस कोने को खाली छोड़ने से मानसिक भ्रम और पारिवारिक मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं. इस दिशा में मेहमानों का कमरा या स्टोर रूम रखना शुभ होता है. यहां सुगंधित सामग्री या खुशबू वाले दीपक रखने से भी सकारात्मकता बढ़ती है.
– ब्रह्मस्थान (घर का मध्य भाग)
ब्रह्मस्थान को घर का हृदय कहा गया है. यह स्थान ऊर्जा का केंद्र होता है और इसे पूरी तरह खाली छोड़ना वास्तु के अनुसार अनुचित है. यहां हल्के फर्नीचर, ध्यान स्थान या किसी शुभ प्रतीक को स्थापित किया जा सकता है. ब्रह्मस्थान को साफ और ऊर्जावान बनाए रखने से समस्त घर में संतुलन और सुख की वृद्धि होती है.
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वास्तु शास्त्र केवल दिशाओं का ज्ञान नहीं, बल्कि दिव्य संतुलन की कला है. घर के कोनों का उचित उपयोग करके हम न केवल ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति भी स्थापित कर सकते हैं.