Rishi Panchami Vrat Katha: हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी व्रत का पालन किया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 28 अगस्त को पड़ रहा है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता है कि व्रत कथा के श्रवण के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है. आइए जानते हैं ऋषि पंचमी की व्रत कथा.
ऋषि पंचमी की कथा (Rishi Panchami 2025 Vrat Katha)
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक नगरी में एक किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था. एक बार उसकी पत्नी रजस्वला अवस्था में होने पर भी घरेलू कार्यों में लगी रही. इस कारण उसे ऋतु-दोष लग गया. पति उसके संपर्क में आया तो वह भी इस दोष से ग्रसित हो गया. परिणामस्वरूप अगले जन्म में पत्नी ने कुतिया और पति ने बैल का जन्म लिया.
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पुत्र को बचाने का प्रयास
दोनों ही पिछले जन्म की घटनाओं को स्मरण रखते थे और अपने पुत्र सुचित्र के घर पर रहते थे. एक दिन सुचित्र के घर अतिथि के रूप में ब्राह्मण आए. सुचित्र की पत्नी ने भोजन तैयार किया, तभी वहां एक सांप आकर भोजन में विष डाल गया. यह दृश्य कुतिया ने देख लिया और अपने पुत्र-बहू को अनिष्ट से बचाने के लिए उसने तुरंत भोजन में अपना मुख डाल दिया.
बहू का क्रोध
कुतिया की यह हरकत देखकर बहू को गुस्सा आ गया और उसने उसे घर से बाहर निकाल दिया. रात को जब कुतिया अपने पति, अर्थात बैल, को यह बात बता रही थी, तब उनके पुत्र सुचित्र ने भी सब सुन लिया. अपने माता-पिता के दोष निवारण हेतु उसने एक ऋषि से उपाय पूछा.
ऋषि का उपाय
ऋषि ने सुचित्र से कहा कि माता-पिता को इस दोष से मुक्ति दिलाने के लिए उसे और उसकी पत्नी को ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहिए. सुचित्र ने ऋषि के बताए अनुसार व्रत किया और इसके प्रभाव से उसके माता-पिता को पशु योनि से मुक्ति मिल गई.

