Karma Puja Vidhi 2025 | Karam Puja Kab Hai: करमा पूजा के अवसर पर करम देवता की पूजा और व्रत विधि का पालन किया जाता है. भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम और सौहार्द बढ़ाने के लिए यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है. परंपरा अनुसार, करमा धरमा कथा का पाठ, जावा विधि, और भाई दूज जैसे अनुष्ठान इस दिन किए जाते हैं. इस दिन प्रकृति और पेड़ों की पूजा करके भूमि की समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है. यह त्योहार किसानों और आदिवासी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है. पूजा के दौरान फसलों, घर और आंगन को सजाया जाता है और भाई-बहन के बीच प्रेम और सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया जाता है.
कब है करमा पूजा ?
करमा पूजा 2025 इस वर्ष 3 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी. यह पर्व विशेष रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार में मनाया जाता है. इसे भाई-बहन के अटूट प्रेम, प्रकृति पूजा और फसलों की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
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करमा पूजा (Karam Puja) में मुख्य रूप से शामिल हैं: करमा धरमा कथा, व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, भाई दूज और प्रकृति पूजन. इस अवसर पर झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और ओडिशा के लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार अनुष्ठान करते हैं.
करम पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह मानव और प्रकृति के गहरे संबंध, कृषि के महत्व और पारिवारिक रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं और करम देवता की पूजा करती हैं, जिन्हें फसलों और खुशहाली का संरक्षक माना जाता है.
करमा पूजा का महत्व: प्रकृति, प्रेम और समृद्धि का संगम (Importance of Karma Puja)
करमा पूजा का महत्व कई दृष्टियों से समझा जा सकता है. यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन बनाए रखना जीवन में वास्तविक सुख और समृद्धि पाने का मार्ग है. यह हमें याद दिलाता है कि हमारी जीविका, खुशहाली और कल्याण सीधे धरती माता और उसकी उपज से जुड़ी है.
पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार, इस दिन वृक्षों, फसलों और करम देवता की पूजा करके प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त किया जाता है. साथ ही, भाई-बहन के प्रेम और परिवार में सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं.
करम पर्व का संदेश सरल है: प्रकृति का सम्मान करें, पारिवारिक बंधनों को मजबूत बनाएं और जीवन में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि का मार्ग अपनाएं.

