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Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें ये विशेष पूजा, जानें मुहूर्त और महत्व

Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. हालांकि, कभी-कभी तिथि के समय के कारण ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत पहले और स्नान-दान दूसरे दिन किया जाता है. ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की तिथि का निर्धारण पूर्णिमा तिथि में चंद्रोदय पर निर्भर करता है. इस दिन व्रत रखकर सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है और कथा का श्रवण किया जाता है. इसके अतिरिक्त, रात में चंद्रमा और धन की देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है.

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Jyeshtha Purnima 2025: हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा का खास महत्व होता है, खासकर जब वह किसी विशेष माह में आती है. इनमें से ज्येष्ठ पूर्णिमा को विशेष रूप से पूजा और व्रत के लिए बेहद शुभ माना जाता है. यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे आत्मिक शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन लोग विशेष रूप से स्नान, दान और पूजन के आयोजन करते हैं ताकि वे अपने जीवन से दुःख और कष्ट को दूर कर सकें.

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा 2025 में 11 जून को मनाई जाएगी. इस दिन की शुरुआत 10 जून को सुबह 11:35 बजे से हो रही है और यह 11 जून को दोपहर 1:13 बजे तक चलेगी. इसलिए, इस दिन को श्रद्धापूर्वक मनाने के लिए 11 जून का दिन सबसे उपयुक्त होगा.

पंचांग विवरण

सूर्योदय – सुबह 5:23 बजे
सूर्यास्त – शाम 7:19 बजे
चन्द्रमा का उदय – शाम 7:42 बजे
चन्द्रमा का अस्त – लागू नहीं

विशेष मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – 4:02 सुबह से 4:42 सुबह तक
विजय मुहूर्त – 2:40 दोपहर से 3:36 दोपहर तक
गोढूली मुहूर्त – 7:18 संध्या 7:38 संध्या तक
निशिता मुहूर्त – 12:01 सुबह से 12:41 सुबह तक (रात्रि)

ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से व्रत, पूजा और दान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भक्तगण भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करते हैं ताकि उनके जीवन से दुख-तकलीफें दूर हों और समृद्धि का वास हो. विशेष रूप से इस दिन व्रत रखना और स्नान करना आत्मिक शांति और शुद्धि के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है

व्रत और पूजा की विधि

इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और मानसिक शांति मिलती है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु एक दिन पहले चतुर्दशी तिथि से भी व्रत रख सकते हैं, यदि पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ चतुर्दशी तिथि से हो. व्रत के साथ ही इस दिन दान भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. लोग जरूरतमंदों को आहार, वस्त्र, या धन दान करते हैं. यह न केवल पुण्य कमाने का एक तरीका है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना भी उत्पन्न करता है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किये जाने वाले मुख्य उपाय

दान और पुण्य कार्य

इस दिन विशेष रूप से भोजन सामग्री, पैसे, और अन्य आवश्यक वस्त्रों का दान करना शुभ माना जाता है.

स्नान और पूजन

पवित्र नदियों में स्नान करके भगवान विष्णु और लक्ष्मी देवी की पूजा करना इस दिन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से है.

व्रत रखना

यह दिन व्रत रखने के लिए आदर्श समय है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.

मौन व्रत

कुछ भक्त इस दिन मौन व्रत भी रखते हैं, ताकि वे अपने मन को शांत और एकाग्र कर सकें.

ज्येष्ठ पूर्णिमा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिन जीवन में समृद्धि, खुशी और शांति लाने के लिए एक विशेष अवसर प्रदान करता है. इस दिन किए गए व्रत, पूजा और दान से व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है. साथ ही, भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि और सुख की प्राप्ति भी होती है. इसलिए, इस दिन के नियमों का पालन श्रद्धा और विश्वास के साथ करना बहुत लाभकारी माना जाता है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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