Holashtak 2025: देशभर में होली के उत्सव की तैयारियाँ जोरों पर हैं. होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत होती है. शास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. इस वर्ष होलाष्टक 7 मार्च से प्रारंभ होने वाला है. होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. आइए, समझते हैं कि होलाष्टक का महत्व क्या है और इस समय शुभ कार्यों को क्यों वर्जित माना जाता है.
होलाष्टक के समय मांगलिक कार्यों से क्यों बचना चाहिए
धार्मिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने से व्यक्ति पर विपत्तियों का साया मंडराने लगता है. इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्य सफल नहीं होते हैं. होलाष्टक के समय विवाह जैसे मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है. इस समय में निर्मित आवास सुखद नहीं होते, इसलिए गृह निर्माण भी निषिद्ध है. नए व्यवसाय की शुरुआत भी इस समय नहीं करनी चाहिए. होलाष्टक के दौरान सोने-चांदी, वाहनों आदि की खरीदारी से भी परहेज करना चाहिए. इस अवधि में जप और तप करना शुभ माना जाता है.
इस दिन से होलाष्टक आरंभ, होली से पहले शुभ कामों को कहें ‘बाय-बाय’
Holi 2025: 14 या 15 मार्च, जानें सही तारीख और दूर करें भ्रम
होलाष्टक की शुरुआत कब होगी
इस वर्ष होलाष्टक 7 मार्च से प्रारंभ होगा और इसका समापन होलिका दहन के साथ 13 मार्च 2025 को होगा. होलाष्टक का पर्व उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों जैसे यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि में मनाया जाता है. होलाष्टक की परंपरा के अनुसार, यह दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष में आता है.