Gold Jewellery: सोना हमेशा से समृद्धि, वैभव और मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में सोने का विशेष महत्व है—इसे पवित्र, ऊर्जावान और सौभाग्य देने वाली धातु कहा गया है. लेकिन क्या पैरों में सोना पहनना सही माना जाता है? क्या इससे धन-भाग्य प्रभावित होता है? चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से धर्म और ज्योतिष की दृष्टि से इसका महत्व.
धर्मिक मान्यता: पैरों में सोना पहनना क्यों माना जाता है अशुभ?
धार्मिक ग्रंथों में सोने को देवताओं की धातु बताया गया है. इसे अक्सर भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और देवी लक्ष्मी से जोड़ा जाता है. मान्यता है कि सोने में दिव्य और सकारात्मक ऊर्जा होती है. पैर शरीर का सबसे निचला हिस्सा है और इसे अपवित्र माना गया है. ऐसे में देवत्व से जुड़ी धातु को पैरों में पहनना अनादर माना जाता है. माना जाता है कि इससे मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और धन-समृद्धि में बाधा आ सकती है.
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ज्योतिष की दृष्टि: पैरों में सोना पहनने का प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार सोना सूर्य का प्रतीक है. सूर्य आत्मविश्वास, ऊर्जा, पद-प्रतिष्ठा और सम्मान का कारक माना जाता है. पैरों में सोना पहनना सूर्य के प्रभाव को कम कर सकता है, जिससे—
- सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है
- आर्थिक लाभ मिलने में अड़चन आ सकती है
- निर्णय क्षमता कमजोर हो सकती है
- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य पहले से ही कमजोर हो, वे अगर पैरों में सोना पहनते हैं तो समस्याएं और बढ़ सकती हैं.
कब पैरों में सोना पहनना ठीक है?
कुछ आधुनिक परिस्थितियों में, जैसे फैशन या चिकित्सकीय कारणों से, सोने की पायल या बिछिया पहनी जाती है. हालांकि पारंपरिक दृष्टि से इसके लिए चांदी को अधिक शुभ माना गया है, क्योंकि चांदी चंद्रमा और शांति का प्रतीक है और पैरों में पहनने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है. धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार पैरों में सोना पहनना शुभ नहीं माना गया है. सोना हमेशा सिर, गर्दन, हाथ या ऊपरी शरीर में धारण करने की सलाह दी जाती है ताकि इसका सकारात्मक प्रभाव जीवन में बढ़े और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे. अगर आप पैरों में कुछ पहनना चाहते हैं, तो चांदी की पायल ही सबसे शुभ और लाभकारी विकल्प मानी गई है.

