Bhagavad Gita: श्रीमद्भागवतगीता के किस अध्याय का प्रतिदिन पाठ करना शुभ माना जाता है, इस पर कई बार संदेह उत्पन्न होता है. यहां इस विषय पर जानकारी प्रस्तुत की जा रही है. श्रीमद्भागवतगीता हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है. महाभारत के युद्ध के पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान उपदेश के रूप में दिया है, वही गीता के रूप में जाना जाता है.
गीता के सभी उपदेशों का सार और निष्कर्ष
गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. गीता का अध्ययन, पाठ और मनन करने से मानवता के धर्म को गहराई से समझा जा सकता है. हर अध्याय का अपना महत्व है, लेकिन कुछ लोग गीता के अंतिम अध्याय, अर्थात् 18वें अध्याय को विशेष मानते हैं. इसका कारण यह है कि इसमें गीता के सभी उपदेशों का सार और निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है. यह अध्याय पिछले सभी अध्यायों का संक्षेप में वर्णन करता है, जिससे आप इस अध्याय के माध्यम से गीता के मुख्य सिद्धांतों को समझ सकते हैं.
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इस अध्याय में भगवान ने जीवन के लिए व्यावहारिक मार्ग का उपदेश दिया है. ईश्वर, जो प्रत्येक प्राणी के हृदय या केंद्र में विराजमान हैं, उसमें विश्वास रखे, उसका अनुभव करें. वहीं कुछ लोग पांचवें अध्याय को खास मानते हैं. इस अध्याय में बताया गया है कि हर प्राणी को समदर्शी होना चाहिए. ये अध्याय उन लोगों को सन्देश देता है जो छुआ-छूत और धार्मिक भेदभाव को मानते हैं.
श्रीमद्भागवतगीता हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है. महाभारत के युद्ध से पूर्व, इस ग्रंथ में भगवान ने जीवन के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया है. ईश्वर, जो प्रत्येक जीव के हृदय में निवास करते हैं, पर विश्वास करना और उनका अनुभव करना आवश्यक है. कुछ लोग पांचवें अध्याय को विशेष महत्व देते हैं. इस अध्याय में यह बताया गया है कि प्रत्येक प्राणी को समदर्शिता का पालन करना चाहिए. यह अध्याय उन व्यक्तियों के लिए एक संदेश है जो छुआ-छूत और धार्मिक भेदभाव को स्वीकार करते हैं.