रघोत्तम शुक्ल
पूर्व पीसीएस, लखनऊ
Kharmas 2025: ज्योतिष शास्त्र में सभी राशियों को स्त्री स्वरूप माना गया है, जबकि उनके संचालन की जिम्मेदारी ग्रहों को दी गई है. हर राशि का एक स्वामी ग्रह होता है, जो उसके स्वभाव और फलादेश को तय करता है. जैसे सिंह राशि के स्वामी सूर्य, कर्क के चंद्रमा, मेष और वृश्चिक के मंगल, मिथुन और कन्या के बुध, धनु और मीन के बृहस्पति, वृष और तुला के शुक्र तथा मकर और कुंभ के स्वामी शनि माने जाते हैं. राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है, इसलिए वे किसी भी राशि के स्वामी नहीं होते.
खरमास का ज्योतिषीय अर्थ क्या है?
खरमास को ज्योतिष में गुर्वादित्य योग कहा जाता है. यह योग तब बनता है जब सूर्य और गुरु एक-दूसरे की राशि में गोचर करते हैं. यानी या तो सूर्य गुरु की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं या फिर गुरु सूर्य की राशि सिंह में आ जाते हैं. यही स्थिति खरमास की शुरुआत मानी जाती है.
साल में कितनी बार लगता है खरमास?
सूर्य हर राशि में लगभग एक माह रहते हैं, जबकि गुरु एक राशि में लगभग 12 से 13 महीने तक विराजमान रहते हैं. इसी कारण वर्ष में दो बार एक-एक महीने का खरमास आता है. वहीं, जब गुरु पूरे एक वर्ष के लिए सिंह राशि में स्थित हो जाते हैं, तो यह विशेष स्थिति सिंहस्थ कहलाती है, जो लगभग 12 वर्ष में एक बार बनती है.
क्यों वर्जित होते हैं मांगलिक कार्य?
खरमास के दौरान शुभ ग्रहों की ऊर्जा कमजोर मानी जाती है. सूर्य को अग्नि तत्व प्रधान और पाप ग्रह माना गया है, जबकि गुरु को सौम्य और अत्यंत शुभ ग्रह कहा जाता है. जब ये दोनों एक-दूसरे की राशि में होते हैं, तो उनके शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है. इसी कारण विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और नए कार्यों की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्यों को इस काल में वर्जित बताया गया है.
फिर क्या करना होता है शुभ?
खरमास में धार्मिक कार्य, दान-पुण्य, पूजा-पाठ और आवश्यक वस्तुओं की खरीद को शुभ माना गया है. यह समय आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त होता है.
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वर्जना का समाधान और खास मान्यता
मान्यता है कि गुर्वादित्य कुयोग का प्रभाव मुख्य रूप से गंगा और गोदावरी के बीच के क्षेत्र में अधिक होता है. इसके बाहर शुभ कार्य किए जा सकते हैं. प्रयागराज का प्रह्लाद घाट विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए उपयोगी माना जाता है.
खरमास में जन्मे जातक कैसे होते हैं?
खरमास में जन्म लेने वाले जातक कुछ मामलों में कठोर स्वभाव के हो सकते हैं, लेकिन वे बुद्धिमान, धनवान और साधु-संतों का सम्मान करने वाले भी होते हैं. अपनी समझ और विवेक से वे दूसरों को भी मार्गदर्शन देने की क्षमता रखते हैं. खरमास केवल वर्जनाओं का समय नहीं, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर भी है. सही जानकारी और समझ के साथ इस काल का सदुपयोग किया जा सकता है.

