Astro Tips: भारतीय संस्कृति में भोजन से संबंधित अनेक परंपराएं और विश्वास होते हैं, जो केवल स्वाद से नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं से भी जुड़े होते हैं. इनमें से एक परंपरा ‘दही मछली’ का उल्लेख करना या इसका सेवन करना है, जिसका विशेष महत्व विशेष रूप से बंगाल, ओडिशा और असम जैसे पूर्वी भारतीय राज्यों में देखा जाता है. जब कोई व्यक्ति यात्रा पर जाने का इरादा रखता है, तो ‘दही मछली’ का शब्द शुभ यात्रा के लिए प्रयोग किया जाता है.
क्या है “दही मछली” कहने की परंपरा?
“दही मछली” का तात्पर्य दही और मछली के मिश्रण से है, जिसे सामान्यतः किसी शुभ अवसर, यात्रा या परीक्षा से पूर्व कहा या परोसा जाता है. इसमें व्यक्ति को दही और मछली का उल्लेख करके शुभकामनाएँ दी जाती हैं, जैसे— “दही मछली का सेवन करें, सफलता अवश्य प्राप्त होगी.”
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धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता
शुभता का प्रतीक
हिन्दू धर्म में दही को पवित्रता और ठंडक का प्रतीक माना जाता है. पूजा में दही पंचामृत का एक महत्वपूर्ण घटक होता है. मछली को बंगाल और अन्य स्थानों पर समृद्धि और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है.
मंगलकामना
जब किसी को ‘दही मछली’ कहकर शुभकामनाएं दी जाती हैं, तो इसका अभिप्राय उस व्यक्ति के लिए सफलता, भाग्य और मानसिक शांति की कामना करना होता है.
नववर्ष और विवाह में परंपरा
बंगाली नववर्ष (पोइला बोइशाख) के अवसर पर ‘दही मछली’ को विशेष महत्व दिया जाता है. इसी प्रकार, विवाह के पहले दिन दूल्हे को भी ‘दही मछली’ परोसी जाती है, ताकि उसके जीवन की नई शुरुआत शुभ और सफल हो.
वैज्ञानिक और सांकेतिक दृष्टिकोण
कुछ व्यक्तियों का इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना — दही पाचन में सहायता करती है और मछली प्रोटीन का एक स्रोत है. यह संयोजन शरीर को ऊर्जा और मानसिक संतुलन प्रदान करता है, जो किसी नए कार्य की शुरुआत में लाभकारी सिद्ध हो सकता है.