Akshaya Tritiya 2025: जिस प्रकार शास्त्रों में वेद, तीर्थों में गंगा, युगों में सतयुग, को श्रेष्ठ माना गया है. उसी प्रकार पौराणिक ग्रंथों में सबसे श्रेष्ठ वैशाख मास को माना गया है. पुराणों में कहा गया है कि ‘न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्, न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गङ्गया समम्. इस उत्तम मास वैशाख में साढ़े तीन मुहूर्तों में से एक अक्षय तृतीया की तिथि को सबसे शुभ माना जाता है. यह अबूझ मुहूर्तों में से एक भी है. ऐसे में इस दिन बिना किसी मुहूर्त को देखे शुभ और मांगलिक कार्य कर सकते हैं. इस साल तृतीया तिथि दो दिन होने के कारण अक्षय तृतीया की तारीख को लेकर लोगों में असमंसज है.
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
झूसी स्थित श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य व सामवेदाचार्य ब्रजमोहन पाण्डेय ने बताया कि पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि 29 अप्रैल को रात्रि 08:09 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल को सायं 05:55 बजे तक रहेगी. लेकिन, उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार अबकी बार अक्षय तृतीया सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. इस साल अक्षय तृतीया पर रवि, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. रवि योग शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहेगा. इसके साथ ही शोभन योग 29 अप्रैल को दोपहर 3:53 से लेकर 30 अप्रैल को दोपहर 12 बजे तक रहेगा. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 4 बजकर 18 मिनट से 1 मई तक रहेगा.
शुभ योगों में मनेगी अक्षय तृतीया

- अक्षय तृतीया तक सोने का भाव जा सकता है 1 लाख 10 हजार के पार
- चारधाम यात्रा भी शुरू होगी अक्षय तृतीया से, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे सुबह 10:30 बजे
उन्होंने आगे बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि, आश्विन मास की दशमी तिथि, वैशाख मास की तृतीया तिथि और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है लेकिन पहली तीन तिथियाँ पूर्ण और चौथी को आधा ही माना जाता है. इसलिए साल की साढ़े तीन तिथियां सबसे अधिक शुभ मानी मानी जाती है. इस दिन शादी-विवाह, मुंडन, छेदन, गृह प्रवेश से लेकर हिन्दू मान्यताओं के अनुसार 16 संस्कार करना अति शुभ माना जाता है. इसके अलावा सोना-चांदी, घर, वाहन आदि खरीदने का भी शुभ फल रहता है और मां लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि बनी रहती है. पुराणों के अनुसार त्रेता युग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी.
सामवेदाचार्य ब्रजमोहन पाण्डेय ने कहा कि वैशाख का महीना धर्म-कर्म की दृष्टि से भी बहुत खास है. इस महीने में किया गया जल दान अक्षय पुण्य देता है. ये महीना कल्पवृक्ष के समान फलदायी माना गया है और भगवान् भोलेनाथ व विष्णु जी को प्रसन्न करने वाला है. वैशाख में गर्मी अपने चरम पर होती है. इसलिए इसमें जल दान का विशेष महत्व है. इस महीने सूर्योदय से पहले स्नान, जल दान और तीर्थ स्नान से सारे कष्ट आदि दूर होते हैं. सार्वजनिक जगह पर प्याऊ व पक्षियों के लिए जल व दाने की व्यवस्था करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन गौशाला में गाय हेतु भूशा, चोकर एवं गुड़ इत्यादि दान कर सकते हैं. मन्दिरों में प्याऊ हेतु घड़ा (जल पूरित) गुड़ आदि दान कर सकते है. अक्षय तृतीया के दिन छाता दान करना चाहिए. साथ ही भगवान् शिव के मंदिर में अक्षय तृतीया से निरन्तर जलधारा चलनी चाहिए.
इस वर्ष चारधाम यात्रा भी अक्षय तृतीया के दिन से शुरू हो रही है. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया को सुबह 10:30 मिनट पर खुलेंगे. केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025, शुक्रवार को सुबह 7 बजे तक खुलेंगे और बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई 2025, रविवार को भक्तों के लिए खुलेंगे. उन्होंने कहा कि इस दिन सोना खरीदने का खास महत्व होता है. इस योग में स्वर्ण खरीद करने से उसमें अक्षय वृद्धि होती है. लेकिन सोने का भाव आसमान छू रहा है और अक्षय तृतीया तक इसके 1 लाख 10 हजार के पार होने की प्रबल संभावना है.
सामवेदाचार्य
ब्रजमोहन पांडेय