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समाज बनाने का अवसर

मेरे विचार से हमारे राष्ट्रीय पतन का वास्तविक कारण यह है कि हम दूसरे राष्ट्रों से नहीं मिलते-जुलते और न ही उनके साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं. हमें कभी दूसरों के अनुभवों के साथ अपने अनुभवों के मिलान करने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ. इसलिए हम कूपमंडूक बने रहे. यदि हम अपने को एक सुसंगठित […]

मेरे विचार से हमारे राष्ट्रीय पतन का वास्तविक कारण यह है कि हम दूसरे राष्ट्रों से नहीं मिलते-जुलते और न ही उनके साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं. हमें कभी दूसरों के अनुभवों के साथ अपने अनुभवों के मिलान करने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ. इसलिए हम कूपमंडूक बने रहे.

यदि हम अपने को एक सुसंगठित राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं, तो हमें यह जानना चाहिए कि दूसरे देशों में किस प्रकार की सामाजिक व्यवस्था चल रही है, और साथ ही हमें मुक्त हृदय से दूसरे राष्ट्रों से विचार-विनिमय करते रहना चाहिए. लेन-देन ही संसार का नियम है और यदि भारत फिर से उठना चाहे, तो यह परमावश्यक है कि वह अपने रत्नों से बाहर लाकर पृथ्वी की जातियों में बिखेर दे और इसके बदले में वे जो कुछ दे सकें, उसे सहर्ष ग्रहण करे.

विस्तार ही जीवन है और संकोच मृत्यु. प्रेम ही जीवन है और द्वेष मृत्यु. हमने उसी दिन से मरना शुरू किया, जबसे हम अन्यान्य जातियों से घृणा करने लगे- और यह मृत्यु बिना इसके किसी दूसरे उपाय से रुक नहीं सकती कि हम फिर से इसे प्रेम के साथ अपनायें, जो कि जीवन है. धोखेबाज और जादूगरों का शिकार बनने की अपेक्षा नास्तिकता में जीवन बिताना कहीं ज्यादा अच्छा है. विचार-शक्ति तुम्हें उपयोग करने के लिए दी गयी है. तब यह दिखा दो कि तुमने उसका उचित उपयोग किया है.

तभी तुम उच्चतर बातों की धारणा कर सकोगे. मनुष्य को सर्वोपरि बल विचार-शक्ति से प्राप्त होता है. जितना ही सूक्ष्मतर तत्व होता है, उतना ही अधिक वह शक्ति-संपन्न होता है. विचार की मूक शक्ति दूरस्थ व्यक्ति को भी प्रभावित करती है, क्योंकि मन एक भी है और अनेक भी.

विश्व एक जाल है और मानव-मन मकड़ियां हैं. हमारा समाज खराब नहीं है, वह तो बहुत अच्छा है. मैं केवल इतना चाहता हूं कि वह और भी अच्छा बने. हमें झूठ से सत्य तक अथवा बुरे से अच्छे तक पहुंचना नहीं है, पर सत्य से उच्चतर सत्य तक, अच्छे से अधिकतर अच्छे तक- यही नहीं, अधिकतम अच्छे तक पहुंचना है. मैं अपने देशवासियों से कहता हूं कि अब तक जो तुमने किया, सो अच्छा ही किया है, अब इस समय और भी अच्छा करने का अवसर आया है.

-स्वामी विवेकानंद

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