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ज्योतिषीय समाधान: शनि की काल कंटक साढ़ेसाती क्या होती है ? जानें क्या कहते हैं सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…

सवाल-शनि की काल कंटक साढ़ेसाती क्या होती है? क्या मैं इससे ग्रसित हूं ?
जन्मतिथि-16.09.1989, जन्म समय-17.44, जन्म स्थान- हाजीपुर
– विकास दुबे

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में काल कंटक साढ़ेसाती जैसी कोई कोई उपमा प्रचलित रूप से शनि की साढ़ेसाती के लिए प्रयुक्त तो नहीं होती, पर यदि शनि अष्टम या द्वादश भाव में आसीन हों तो व्यक्ति को अवश्य ही साढ़ेसाती के दरमियान कई बार जाने अनजाने में निर्मित नकारात्मक कर्मों के फलस्वरूप विकट स्थितियों का सामना करना पड़ता है. शनि की दशा और साढ़ेसाती दरअसल योग्यता में इज़ाफ़ा करने का काल है, जिसका सही इस्तेमाल जीवन बदल सकता है. यदि कर्म, वचन, विचार और आचरण शुद्ध हों, तो शनि की दशा दुःख नहीं, आनन्द का सबब बनती है. आपकी राशि मीन और लग्न कुंभ है। शनि आपकी कुंडली के एकादश भाव में विराजमान है. यह शनि की सर्वोत्तम स्थितियों में से एक है. ये शनि अपनी दशा में महासफलता और आनन्द प्रदान करता है। फ़िलहाल आप शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में नहीं हैं.

सवाल- मैं कुण्डल कालसर्प योग से ग्रसित हूं. निवारण का कोई उपाय बताइए.
जन्मतिथि-21.12.1983, जन्म समय- 20.20, जन्म स्थान- भोजूडीह
-अनन्त पाल सिंह

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि इस नाम के किसी कालसर्प योग का वर्णन मैंने प्राचीन ग्रंथों में नहीं पाया. कालसर्प योग अशुभ योग नहीं है. बल्कि कई बार तो यह शुभ ग्रहों के प्रभावों में आकर महान फल प्रदान करने की भी क्षमता रखता है. आपकी राशि मिथुन और लग्न कर्क है. और यहां सबसे रोचक बात तो ये है कि कुंडल कालसर्प तो छोड़िए, आपकी कुंडली में कालसर्प योग ही नहीं है. हां, आपकी कुंडली में द्वादश का चंद्रमा अवश्य ही कुछ अतिसम्वेदनशीलता, भावुकता, मानसिक तनाव और चिंता को जन्म देने वाला होता है.

सवाल- क्या राहू की महादशा में चाय या कॉफ़ी अशुभ परिणाम देती है ?
– निर्मल्यो डे

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि चाय-कॉफ़ी को लेकर ये विचार बेहद मौलिक और काल्पनिक हैं. चाय-कॉफ़ी का संबंध किसी ग्रह से जोड़ना चकित करने वाला भी है, और मुस्कुराने का कारण भी। सिर्फ़ रंग को देखकर किसी खाद्य पदार्थ को किसी ग्रह से जोड़ना अनुचित है. हर भूरी वस्तु का संबंध राहु से नहीं होता. अगर ऐसा होता तो सांभर और चटनी, हलवा और पूरी सब राहू के अधीन आ जाते. प्राचीन ज्योतिषिय शोध के समय ये पेय पदार्थ उपलब्ध नहीं थे, लिहाज़ा प्राचीन शास्त्रों में तो इनका कोई वर्णन मिलता नहीं है, और ना ही नए शोध ही चाय-कॉफ़ी का के तार किसी ग्रह विशेष से जोड़ते दिखाई देते हैं। ये विचार ख़यालों की छलांग के सिवा कुछ भी नहीं है.

सवाल- सोने के लिए कौन सी दिशा शुभ है ?
-भानु प्रकाश सिंह

जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि आप किसी भी दिशा में सो सकते हैं पर सोते समय यदि सर दक्षिण की ओर हो तो यह स्थिति सर्वोत्तम है. इसके अलावा पूर्व दिशा में भी सर रख कर सोया जा सकता है. पर उत्तर और पश्चिम की ओर सर रखकर सोने को वास्तु के सिद्धांत घातक मानते हैं. ऐसा शायद इसलिए होगा कि चुंबकीय तरंगें दक्षिण से उत्तर की ओर गतिशील होती हैं. दक्षिण और उत्तर की तरफ़ सर रखने से चुंबकीय दबाव के कारण पाचन तंत्र उत्तम रहता है वहीं उत्तर और पश्चिम में सर रखने से चुंबकीय दबाव उलटी दिशा में पड़ता है, जिससे पाचनतंत्र प्रभावित होकर क़ब्ज़ के साथ नाना प्रकार के विकारों को जन्म देता है. जिससे मन, स्वास्थ्य और प्रगति के साथ पूरा जीवन प्रभावित होता है.

सवाल- मोर पंख घर में रखना अशुभ है क्या ?
-अशोक कुमार

जवाब- सदगुरुश्री कि नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है. बल्कि मान्यताएं तो इसके ठीक विपरीत हैं। प्राचीन अवधारणाएं घर में मोर पंख को शुभ मानती हैं और इन्हें घर में रखने कि अनुशंसा भी करती हैं. वह इसे नकारात्मक उर्जा के उन्मूलन में सहायक मानती हैं तो कुछ घरेलु मतभेद से निपटनें में सहायक. कुछ ल इसे नज़र दोष के उपाय के रूप में देखती हैं तो कुछ ज़हरीले जीव जंतुओं से बचनें का साधन के रूप में इसकी संस्तुति करती हैं. पर सनद रहे कि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे [email protected] पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)

Prabhat Khabar Digital Desk
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