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Pahalgam Terrorist Attack: पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान के हालात बेहद खराब हो चुके हैं. भारत की कार्रवाई के विरोध में पाकिस्तान भले ही मजबूती दिखाने की कोशिश कर रहा है लेकिन उसे अंदरूनी हालात बेहद खराब हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य खराब होने का एक कथित पत्र वायरल है. वहीं सेना प्रमुख भी कहीं गुप्त स्थान पर छिपे हुए हैं. इन सब परिस्थितियों के बीच माना जा रहा है कि भारत से लड़ने का दिखावा करने वाले पाकिस्तान का नक्शा इस बार बदल जाएगा. जैसे 1971 में उसके दो टुकड़े हो गए थे, वैसे ही एक बार फिर उसके कई टुकड़े होने की संभावना है.
बीएलए दे रही पाकिस्तानी सेना हो चुनौती
पाकिस्तान के अंदरूनी हालात पर नजर डालें तो वो लगातार बलूच लिब्रेशन आर्मी (BLA) और पश्तून तहाफुज मूवमेंट (PTM) से जूझ रहा है. पहलगाम अटैक के बाद बलूच लिब्रेशन आर्मी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ तीन जगह मोर्चा खोल चुकी है. भारत सरकार सीमा पर दबाव बनाने में कामयाब रही तो पाकिस्तान से सबसे पहले अलग होने वाला हिस्सा बलूचिस्तान होगा. जो पाकिस्तानी सेना से सीधी टक्कर लेता रहता है. बीएलए ने पाकिस्तान की ट्रेन जफर एक्सप्रेस का अपहरण करके पहले ही अपनी ताकत दिखा दी है. बलूचों का दावा है कि उनके क्षेत्र को जबरदस्ती हड़प लिया गया है. वह अपने को आजाद कराने के लिए लगातार सेना से मोर्चा ले रहे हैं.
खैबर पख्तूनख्वा दे रहा टक्कर
बलूचों की तरह ही पश्तून भी पाकिस्तान से अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. ये पश्तो भाषा बोलते हैं. पाकिस्तान आर्मी पश्तूनों का भी शोषण करती रही है. अपने लोगों को अत्याचार से बचाने के लिए पश्तूनों ने 2014 में पश्तून तहाफुज मूवमेंट (PTM) की स्थापना की थी. इस मूवमेंट का पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में अच्छा प्रभाव है. ये पाकिस्तानी सेना की मनमानी के विरोध के लिए जाना जाता है. पीटीएम की बढ़ती ताकत को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पश्तून तहाफुज मूवमेंट पर बैन लगा दिया है.
भारत मे शामिल होना चाहते थे बलूच और पश्तून
1947 में जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ था. उस समय भी बलूच व पश्तून भारत के साथ आना चाहते थे. लेकिन अंग्रजों की साजिश से ऐसा हो नहीं पाया. बताया जाता है कि पाकिस्तान बनने के साथ ही उसकी कई रियासतें भारत में विलय चाहती थीं. खासतौर से अफगानिस्तान से सटे खैबर पख्तूनख्वा के लोग भारत के साथ आना चाहते थे. वहीं एक गुट ऐसा भी था जो पख्तूनिस्तान नाम से स्वतंत्र देश के रूप में अपना वजूद बनाना चाहता था. लेकिन अंग्रेजों ने नार्थ वेस्ट फ्रंटियर पोस्ट (NWFP) के पाकिस्तान में जाने के लिए जनमत संग्रह करवा दिया. इसमें विकल्प के रूप में पाकिस्तान के साथ या फिर ब्रिटिश के साथ जाने का दिया गया. भारत में शामिल होन और आजाद होने का विकल्प इनको दिया ही नहीं गया.
जनमत संग्रह का बहिष्कार
उस समय पख्तून में खान अब्दुल गफ्फार और उनकी पार्टी खुदाई खितमदगार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस जनमत संग्रह का बहिष्कार कर दिया. इस जनमत संग्रह में सिर्फ 15 फीसदी लोगों ने वोट डाला वो भी पाकिस्तान के पक्ष में. पाकिस्तान बनने के बाद खान अब्दुल गफ्फार और उनके समर्थकों के विरोध को पाकिस्तान सरकार ने बर्बर तरीके से कुचल दिया. राघवेंद्र सिंह लिखित इंडिया लॉस्ट फ्रंटियर-द स्टोरी ऑफ नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस ऑफ पाकिस्तान में इस बारे में लिखा गया है.
पाकिस्तान के टुकड़े होने का इंतजार
पहलगाम हमले के बाद भारत में भी पाकिस्तान के टुकड़े करने की बात उठ रही है. कई मुख्यमंत्रियों और नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहा है. तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी ने एक बयान में पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े करने की बात कही है. इसी तरह गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने कहा है कि आजादी के समय विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बने. इसके बाद 1971 में भारत ने पाकिस्तान को दो देशों में विभाजित कर दिया. एक नया देश बांग्लादेश बना. अब बलूचिस्तान नामक एक नए देश के जन्म की संभावना है. झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने भी पाकिस्तान के टुकड़े करने का बयान दिया है.
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