33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

प्रवासी मजदूरों की दूर होगी परेशानी, रोजगार के लिए बिहार लौटे कामगारों को करना होगा ‘ये’ काम

कोरोना महामारी के कारण बिहार से दूसरे प्रदेशों में रोजगार की तलाश में गये प्रवासी मजदूर अब अपने घरों को लौट आये हैं. बिहार सरकार द्वारा इन प्रवासी मजदूरों व कामगारों को रोजगार देने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में प्रवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार की ओर भी प्रेरित किया जायेगा.

पटना : कोरोना महामारी के कारण बिहार से दूसरे प्रदेशों में रोजगार की तलाश में गये प्रवासी मजदूर अब अपने घरों को लौट आये हैं. बिहार सरकार द्वारा इन प्रवासी मजदूरों व कामगारों को रोजगार देने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में प्रवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार की ओर भी प्रेरित किया जायेगा.

गौर हो कि अपने घरों तक लौटने के लिए कई प्रवासियों को पैदल यात्रा करना पड़ा, तो कोई साइकिल से ही मीलों का सफर तय कर अपने घर पहुंचने में कामयाब हुए. वहीं, बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के सहारे अपने घर वापस लौटे है. हालांकि, अपने घर तक पहुंचने से पहले जिलों में बनाये गये कोरेंटिन सेंटरों में भी उन्हें समय बिताना पड़ा. अब इन प्रवासी मजदूरों के सामने सबसे बड़ी समस्या उनके रोजगार को लेकर है.

प्रवासी मजदूरों के लिए वापस घर लौटने के साथ ही अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्हें रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गयी है. इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने के प्रयास तेज करने के निर्देश दिये हैं. इसी कड़ी में आगंतुक मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर सभी पंचायतों के कोरेंटिन सेंटरों में प्रवासियों को प्रेरित करने की जिम्मेदारी मनरेगा पदाधिकारियों को सौंपी गयी है.

इसके तहत जिले के सभी संचालित कोरेंटिन सेंटरों में कार्यक्रम पदाधिकारी, पंचायतों के पंचायत रोजगार सेवक आदि ने शिविर लगाकर मजदूरों से मनरेगा में कार्य करने को लेकर इच्छा जान कर शिविर में ही जॉब कार्ड दिया गया. साथ ही कुछ प्रवासी मजदूरों ने वापस घर जाने के बाद जॉब कार्ड बनवाने का भी प्रयास किया. ताकि, उनलोगों को बेरोजगार नहीं रहना पड़े और अपने घर-गांव में ही रोजगार मिल सके.

रोजगार देने को सभी जिलों में हेल्प डेस्क

बिहार के सभी जिलों में प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए हेल्प डेस्क बनाया जायेगा. जल्द ही यह काम करने लगेगा. सरकार का रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान है. सभी संबंधित विभाग रोजगार सृजन को लेकर किये जा रहे कार्यों की निरंतर मॉनीटरिंग कर रहे हैं. लॉकडाउन अवधि से अब तक प्रदेश में 4. 48 लाख योजनाओं के तहत 5. 61 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया गया है.

रोजगार देने के लिए अपनायी जा रही ये स्ट्रैटजी

सूचना सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि बाहर से आये लोगों की मदद के लिए सभी जिलों में डिस्ट्रिक्ट लेवल काउन्सिलिंग सेंटर्स या हेल्प डेस्क बनाये जा रहे हैं. डिस्ट्रिक्ट लेवल काउंसिलिंग सेंटर्स, हेल्प डेस्क से रोजगार प्राप्त करने के संबंध में लोगों को जानकारी दी जायेगी. उन्होंने बताया कि रोजगार देने के लिए दो तरह की स्ट्रैटजी अपनायी गयी है. पहला यह कि सभी विभागों का अपनी मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाने को कहा गया है.

श्रमिकों की सहमति पर मिलता है जॉब ऑफर

दूसरी स्ट्रैटजी के तहत निजी क्षेत्र में चल रहे औद्योगिक इकाइयों को स्किल सर्वे के आधार पर मिले डेटा से उद्योग विभाग के पोर्टल पर जमा कराया जायेगा. वहां सभी इकाई कर्मियों की अपनी जरूरतें फीड करके रखते हैं. उस पोर्टल पर स्किल सर्वे का डेटा फीड किया जाता है. दोनों की मैचिंग ऑटोमेटिक या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके जॉब मैचिंग होती है. इस प्रकार स्किल के मुताबिक संबंधित श्रमिकों को रोजगार के संबंध में स्वतः यह मैसेज चला जाता है कि उनके लिए रोजगार के लिए कहां-कहां अवसर उपलब्ध है. अपनी सुविधानुसार श्रमिकों की सहमति देने पर उसे जॉब ऑफर हो जाता है.

अनुपम कुमार ने बताया कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को लेकर लगातार कार्रवाई कर रही है. मुख्य सचिव के स्तर पर प्रतिदिन क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठकें हो रही है. हर प्रकार की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है और सरकार द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं.

राज्य में रोजगार की हो रही व्यवस्था : सीएम

वहीं, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांच जिलों में पार्टी के सक्रिय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कहा है कि राज्य में रोजगार की व्यवस्था की जा रही है. प्रवासी मजदूरों का स्किल मैपिंग हो रहा है. इसके अलावा नये उद्योगों को आकर्षित करने के लिए एक नयी औद्योगिक नीति बनायी जा रही है. उन्होंने पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से कहा कि इन योजनाओं के साथ ही सात निश्चय सहित जल-जीवन-हरियाली अभियान की जानकारी हर व्यक्ति तक पहुंचाएं.

एक नजर में जानिए रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लागू किये लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिये बिहार के श्रम संसाधन विभाग द्वारा उनका पंजीकरण शुरू कर दिया गया है. रोजगार पोर्टल पर उनका पंजीकरण कोरेंटिन कैंपों में ही किया जा रहा है. पंजीकरण के बाद विभाग की ओर से लगनेवाले रोजगार सह मार्गदर्शन मेला व जॉब फेयर में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित की जायेगी.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बिहार सरकार प्रवासी मजदूरों को राज्य में ही रोजगार देने की नीति पर काम कर रही है. इसके तहत सरकार के कई विभाग अपनी-अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में श्रम संसाधन विभाग ने नेशनल कैरियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल पर मजदूरों का पंजीकरण करने का निर्णय लिया है. पंजीकरण के दौरान यह देखा जा रहा है कि कौन से प्रवासी किस क्षेत्र में कुशल और योग्य हैं.

विभाग हर शनिवार को इस पंजीकरण की रिपोर्ट लेगा, ताकि पता चल सके कि प्रवासियों में कितनों को रोजगार की आवश्यकता है. साथ ही इन प्रवासियों को किस क्षेत्र में अधिक काम की आवश्यकता है. उनकी योग्यता के अनुसार ही बिहार सरकार संबंधित कंपनियों से विमर्श कर रोजगार के अवसर सृजित करेगी.

अगर किसी प्रवासी मजदूरों का निबंधन छूट गया है, तो विभाग ई-वैन से ऐसे लोगों का पंजीकरण करेगा. अधिकारियों ने कहा कि आम तौर पर पोर्टल पर निबंधन का काम खुद बेरोजगार करते हैं. लेकिन, प्रवासियों की समस्याओं को देखते हुए श्रम संसाधन विभाग ने पहल कर उनका पंजीकरण शुरू कर दिया है.

लगाया जायेगा रोजगार मेला

पंजीकरण के बाद विभाग के पास योग्य लोगों का नाम-नंबर सहित पूरी जानकारी होगी. इसलिए रिक्तियां आते ही विभाग की ओर से उनको सूचना दे दी जायेगी. चूंकि कोरोना के कारण अभी रोजगार मेला का आयोजन नहीं हो रहा है. जैसे ही लॉकडाउन समाप्त होगा और जनजीवन सामान्य होगा, रोजगार मेला का आयोजन कर प्रवासियों को रोजगार दिया जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें