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5जी से उम्मीदें

अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से कनेक्टिविटी में जो सुधार होगा, उससे 21 सदी में विभिन्न क्षेत्रों के विकास की दिशा तय होगी.

डिजिटल स्पेस में क्रांतिकारी बदलाव और सेवा आधारित आर्थिक वृद्धि में भारतीय टेलीकॉम उद्योग की बेजोड़ भूमिका रही है. बीते एक दशक में वैश्विक स्तर पर यह सेक्टर शीर्ष क्षेत्रों में शामिल रहा है. चौथी औद्योगिक क्रांति की बुनियाद भी 5जी और 6जी जैसे मोबाइल नेटवर्क की कार्यकुशलता पर तैयार होगी. साथ ही, नवाचार और विकासशील समाज को बेहतर बनाने में इन सेवाओं की प्रभावी भूमिका है. वर्तमान में 3जी और 4जी टेलीकॉम नेटवर्क पूरे देश में हैं और कंपनियां अगले कुछ महीनों में 5जी नेटवर्क लांच करने की तैयारी में हैं.

प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि दशक के अंत तक भारत 6जी नेटवर्क का भी लक्ष्य हासिल कर लेगा, जिससे अल्ट्रा हाई स्पीड इंटरनेट, हाई कनेक्टिविटी का लक्ष्य साकार हो सकेगा. दूरसंचार क्षेत्र नियामक टीआरएआई के रजत जयंती समारोह में प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि 5जी नेटवर्क के आने से भारतीय अर्थव्यवस्था को 450 बिलियन डॉलर का फायदा होगा.

इससे न केवल इंटरनेट की स्पीड तेज होगी, बल्कि विकास की गति और नौकरियों के सृजन में भी बढ़त का रुझान आयेगा. अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से कनेक्टिविटी में जो सुधार होगा, उससे 21 सदी में विभिन्न क्षेत्रों के विकास की दिशा तय होगी. साथ ही, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आयेगा.

बीते दशक में इंटरनेट यूजरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे भारत दुनिया का मोबाइल मैनुफैक्चरिंग हब बन गया है. अब दूरसंचार क्षेत्र में स्वदेशी 5जी टेस्ट बेड भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है. ऐसी तकनीकें, जो 5जी से संचालित हैं, उनकी डेटा ट्रांसफर स्पीड इससे तेज होगी, यानी कनेक्टेड और ऑटोमेटेड सिस्टम को नया आयाम देने में यह तकनीक विशेष प्रभावकारी है.

साथ ही, नीति निर्माताओं के लिए यह उत्प्रेरक माध्यम बनेगी, जिससे नागरिकों और व्यवसायों को जागरूक तथा मजबूत करने में मदद मिलेगी. सशक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्य से करीब सात वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी. उस वक्त मात्र 19 प्रतिशत आबादी इंटरनेट से जुड़ी थी. लेकिन, बीते इन सात वर्षों में जो परिवर्तन आया, उसे आज हर वर्ग महसूस कर रहा है.

हालांकि, डेटा सुरक्षा, आधार की वैधता जैसे सवाल भी आये. लेकिन, कनेक्टिविटी के साथ कौशल और डिजिटल गवर्नेंस की जिस संयुक्त प्रयास की कल्पना डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत की गयी थी, उसमें अपेक्षित कामयाबी हासिल हुई है. आधार से सरकारी सेवाओं में सुधार, सब्सिडी, कल्याणकारी योजनाओं, बैंक खातों का लाभ समाज के हर वर्ग तक सुलभ हुआ है. तकनीकीविदों, उद्यमियों के लिए यह वरदान है, जो वास्तव में डिजिटलीकरण के परिवर्तनकारी प्रभाव में विश्वास करते हैं. भारत महामारी के प्रभावों से उबर रहा है. उस प्रक्रिया में डिजिटल मुहिम ही सबसे बड़ा माध्यम रही है और आगे भी रहेगी.

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