लिंग, धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठ कर इस देश में अध्ययन और अध्यापन करने की छूट हमारे संविधान ने हमें दी है. ऐसे में क्यों बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध हो रहा है? जो छात्र विरोध कर रहे हैं, क्या वे देश की आजादी में अशफाकउल्लाह खान, मौलाना आजाद और खान अब्दुल गफ्फार खान के योगदान को नहीं मानते? क्या एपीजे अब्दुल कलाम के योगदान को भी वे नहीं मानते?
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर