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सत्ता लोलुपता न जाने मुल्क को कहां ले जायेगी
राहुल गांधी, मणिशंकर अय्यर एवं नवजोत सिंह सिद्धू जैसे राजनेता दूसरे मुल्कों में जाकर अपनी माटी और अपने देश के खिलाफ बोल रहे हैं. एक पाकिस्तान जाकर लोकतांत्रिक तरीके से चयनित अपने ही प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए मदद की गुहार लगाते हैं, तो दूसरा 33 देशों के प्रतिनिधियों के बीच अपने ही देश […]
राहुल गांधी, मणिशंकर अय्यर एवं नवजोत सिंह सिद्धू जैसे राजनेता दूसरे मुल्कों में जाकर अपनी माटी और अपने देश के खिलाफ बोल रहे हैं.
एक पाकिस्तान जाकर लोकतांत्रिक तरीके से चयनित अपने ही प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए मदद की गुहार लगाते हैं, तो दूसरा 33 देशों के प्रतिनिधियों के बीच अपने ही देश की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत पर प्रश्नचिह्न लगाकर देश की सर्वोच्च गद्दी पर बैठने का सपना पालते हैं. मानवाधिकार हनन का ढोल पीटने वाले, एक आतंकवादी के ‘मानव अधिकार’ की दुहाई देकर न्यायिक व्यवस्था को उलझन में डाल देते हैं.
इन्हीं मानवाधिकार के तथाकथित पैरोकार एवं बुद्धिजीवी, वामपंथी विचारधारा का झूठा चोला पहने हुए, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, पी वरवरा राव अरुण फरेरा जैसे लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश नहीं करते, वरन एक क्रांतिकारी एवं नवभारत के निर्माण की कल्पना पर कुठाराघात करते हैं.
देवेश कुमार ‘देव’, गिरिडीह
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