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Jamshedpur : तीन बार विधायक रहे दीनानाथ पांडेय का निधन, रघुवर दास और अर्जुन मुंडा ने दी श्रद्धांजलि

रांची : जमशेदपुर के दीना बाबा नहीं रहे. शुक्रवार को टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में 85 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर काे टीएमएच के शीतगृह में रखा गया है. परिवार के सदस्याें काे इसकी सूचना दे दी गयी है. अंतिम संस्कार रविवार काे हाेगा. तीन बार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा […]

रांची : जमशेदपुर के दीना बाबा नहीं रहे. शुक्रवार को टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में 85 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर काे टीएमएच के शीतगृह में रखा गया है. परिवार के सदस्याें काे इसकी सूचना दे दी गयी है. अंतिम संस्कार रविवार काे हाेगा. तीन बार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले दीनानाथ पांडेय क्षेत्र के लोगों के बीच दीना बाबा के नाम से मशहूर थे. उनके निधन पर मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, मंत्री सरयू राय, पूर्व विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह समेत झारखंड के कई मंत्रियों, विधायकों और विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है.

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मुख्यमंत्री ने पूर्व विधायक दीनानाथ पांडेय के निधन पर कहा है कि जमशेदपुर पूर्वी से विधायक रहे दीनानाथ पांडेय का आशीर्वाद हमेशा उन्हें मिलता रहा था. भाजपा को हमेशा उनकी कमी खलेगी. उन्होंने अपना एक अभिवावक खो दिया.

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा चुनाव के लिए बनी भाजपा की मेनिफेस्टो कमेटी के सदस्य अर्जुन मुंडा ने पूर्व विधायक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन की खबर सुनकर वह मर्माहत हैं. श्री मुंडा ने कहा कि दीनानाथ पांडेय अपने आदर्शों और राजनीति में शुचिता के लिए हमेशा याद रखे जायेंगे.

उनके पार्थिव शरीर काे टीएमएच के शीतगृह में रखा गया है. परिवार के सदस्याें काे इसकी सूचना दे दी गयी है. अंतिम संस्कार रविवार काे हाेगा. बिरसानगर स्थित आवास से उनकी अंतिम यात्रा भुइयांडीह स्थित सुवर्णरेखा बर्निंग घाट के लिए निकलेगी.

पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर विधानसभा पहुंचे

जनता पार्टी की टिकट पर दीनानाथ पांडेय 1977 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद भाजपा के टिकट पर 1980 आैर 1985 में लगातार दाे बार उन्हें विधायक बनने का माैका मिला. 1990 में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी डी नरीमन के हाथाें पराजित हाेना पड़ा था. 1995 में भाजपा ने मजदूर नेता रघुवर दास काे टिकट दिया, तो विराेध में दीना बाबा निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े.

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इसके बाद वह शिव सेना में शामिल हो गये. 1996 का लाेकसभा चुनाव शिव सेना के टिकट पर ही लड़े. जमशेदपुर में उनकी छवि मजदूर नेता, कट्टर हिंदू नेता की रही. 1979 के दंगाें की जांच के लिए पटना हाइकाेर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जितेंद्र नारायण की अध्यक्षता में बनायी गयी तीन सदस्यीय कमेटी की रिपाेर्ट में कहा गया कि आरएसएस के बाला साहेब देवरस आैर दीनानाथ पांडेय की वजह से दंगे भड़के.

इस रिपाेर्ट काे बिहार विधानसभा के पटल पर रखा गया, तो जमकर हंगामा हुआ. तब डॉ जगन्नाथ मिश्र संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री थे. दीनानाथ पांडेय के करीबी बताते हैं कि दीना बाबा सर्वसुलभ विधायक थे. उनके कंधे पर हमेशा एक झाेला टंगा रहता था, जिसमें वे अपना लेटर पैड आैर स्टांप लेकर चलते थे. जब भी किसी ने मदद मांगी, लेटरपैड पर लिखकर दे देते. किसी को पैरवी की जरूरत होती, तो वे उसके साथ साइकिल पर बैठकर भी चले जाते थे.

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