परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस आज
दुर्जय पासवान
गुमला : हर साल तीन दिसंबर को परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस मनाया जाता है. अलबर्ट एक्का का जन्म वर्ष 1942 में गुमला जिले के छोटे से गांव जारी में हुआ था. उनके पिता जूलियस एक्का सेना के जवान थे, जबकि मां मरियम एक्का गृहिणी थीं. पिता ने द्वितीय विश्वयुद्ध में योगदान दिया था. रिटायर होने के बाद इच्छा जतायी कि उनका बेटा अलबर्ट भी सेना में भर्ती हो.
अलबर्ट ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सीसी पतराटोली और माध्यमिक शिक्षा भीखमपुर से हासिल की थी. चूंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने गांव में ही पिता के साथ खेती-बारी में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. इस दौरान अलबर्ट ने दो वर्षों तक नौकरी की तलाश भी की, लेकिन कहीं नौकरी नहीं मिली. इसके बाद वे भारतीय सेना में शामिल हो गये.
20 वर्ष की उम्र में दिया बहादुरी का परिचय : अलबर्ट ने वर्ष 1962 में चीन के विरुद्ध युद्ध में अपनी बुद्धि और बहादुरी का लोहा मनवाया था. तब उनकी उम्र मात्र 20 वर्ष थी. वर्ष 1968 में अलबर्ट एक्का का विवाह बलमदीना एक्का से हुआ. वर्ष 1969 में उन्हें एक पुत्र हुआ, जिसका नाम भिंसेंट एक्का है. भिंसेंट मात्र दो वर्ष के थे, तभी वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में अलबर्ट एक्का शहीद हो गये. पत्नी बलमदीना को अलबर्ट एक्का के शहीद होने का समाचार अपने ससुर से मिला.
यह सुनते ही बलमदीना की आंखों के आगे अंधेरा छा गया. इसके बावजूद उनके चेहरे पर अपने शहीद पति की वीरता के लिए गर्व का भाव था. बलमदीना ने अपने बेटे भिंसेंट को खूब पढ़ाया. भिसेंट भी सेना में जाना चाहते थे, लेकिन मां की हालत देख वे सेना में नहीं गये. भिसेंट की शादी गांव में ही हुई. उसके दो बेटी और एक पुत्र है, सभी पढ़ाई कर रहे हैं. फिलहाल भिंसेंट एक्का जारी ब्लॉक में ही सरकारी नौकरी कर रहे हैं.
अकेले ही पाक सैनिकों को मार गिराया : पाकिस्तान से बंगलादेश की मुक्ति को लेकर वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध हुआ था. उस समय 26 साल के अलबर्ट एक्का बी कंपनी में थे. गंगासागर के पास भारतीय सेना का मोर्चा था.
पास ही रेलवे स्टेशन भी था, जहां 165 पाकिस्तानी घुसपैठी अड्डा जमाये हुए थे. भारती सैनिकों ने दो दिसंबर को आक्रमण किया. तीन दिसंबर की रात 2:30 बजे भारतीय सैनिकों ने जैसे ही रेलवे स्टेशन पार किया, पाकिस्तानी सेना के संतरी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. भारतीय सैनिकों ने संतरी को मौत के घाट उतार दिया और दुश्मन के इलाके में घुस गये. इस बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने एलएमजी बंकर से भारतीय सैनिकों पर आक्रमण किया.
अलबर्ट एक्का ने जान की परवाह किए बिना अपना ग्रेनेड एलएमजी में डाल दिया, जिससे पाक सेना का पूरा बंकर उड़ गया. इसके बाद भारतीय सैनिकों ने 65 पाक सैनिकों को मार गिराया, जबकि 15 को कैद कर लिया. रेलवे के आउटर सिग्नल को कब्जे में लेने के बाद वापस आने के दौरान टॉप टावर के ऊपर खड़े पाक सैनिकों ने अचानक मशीनगन से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया.
इसमें 15 भारतीय सैनिक मारे गये. यह देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए बंदर की तरह टॉप टावर पर चढ़ गये. उन्होंने टॉप टावर की मशीनगन को कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस-नहस कर दिया. इस दौरान उन्हें करीब 25 गोलियां लगीं. पूरा शरीर गोलियों से छलनी था. वे टावर से नीचे गिर गये और वहीं अंतिम सांस ली.
हॉकी के दीवाने थे अलबर्ट एक्का : बलमदीना एक्का (83 वर्ष) कहती हैं कि अलबर्ट एक्का बचपन से ही सेना में जाने की बात करते थे. वे पढ़ाई में कमजोर जरूर थे, लेकिन खेल में अव्वल थे. हॉकी में उनकी जान बसती थी.
उन्होंने अपने हाथ से लकड़ी का हॉकी स्टिक और कपड़े की गेंद बनायी थी. वे खेती-बारी को भी पूरा समय देते थे. हल चलाना उनका शौक था. खेत में धान तैयार हो जाने के बाद उसकी निगरानी की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर थी. इसके अलावा वे चिड़िया मारने के भी शौकीन थे.