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Road Rage Case: नवजोत सिंह सिद्धू मेडिकल जांच के बाद पटियाला केंद्रीय जेल पहुंचे

Road Rage Case: रोड रेज मामले में पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है.

Road Rage Case: रोड रेज मामले में पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है. जिसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू मेडिकल जांच के लिए पटियाला के माता कौशल्या हॉस्पिटल पहुंचे. यहां उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की. जिसके बाद डॉक्टर ने ईसीजी के बाद उनकी अन्य जांचें की. मेडिकल जांच के बाद नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला केंद्रीय जेल पहुंचे.

सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

शुक्रवार की सुबह कुछ समर्थक नवजोत सिंह सिद्धू के आवास पर पहुंचे थे. पटियाला जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नरिंदर पाल लाली ने बृहस्पतिवार रात पार्टी समर्थकों को एक संदेश में कहा था कि सिद्धू सुबह 10 बजे अदालत पहुंचेंगे. उन्होंने उनसे सुबह करीब साढ़े नौ बजे अदालत परिसर पहुंचने का आग्रह किया था. इससे पहले सिद्धू ने सरेंडर करने के लिए कुछ हफ्ते का समय मांगा था. उन्‍होंने खराब सेहत का हवाला दिया है. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली और इस वजह से उनको पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा.

सिद्धू की बढ़ी परेशानी

वहीं, टीवी चैनलों की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने नवजोत सिंह सिद्धू को फोन किया है और उनसे कहा है कि कांग्रेस आपके साथ है. आप मजबूत रहिए. हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है. बता दें कि इससे पहले गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने संकेत दिए थे कि वे खुद को कानून के ​हवाले करेंगे और पटियाला कोर्ट में सरेंडर करेंगे. सिद्धू हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में हार गए थे. अब उन पर ये कोर्ट का फैसला आया है, इससे उनकी मुश्किलें हाल के समय में कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.

जानें पूरा मामला

बताते चलें कि नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का यह मामला साल 1988 का है. सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया. आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई. जिसमें सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया था और बाद में उनकी मौत हो गई. नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में बरी कर दिया था. इसके बाद पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया. साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.

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