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Sanjiv Bhatt Convicted: जानें कौन हैं पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट, जिन्हें 28 साल बाद कोर्ट ने दिया दोषी करार

Sanjiv Bhatt Convicted: गुजरात के चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 28 साल पुराने मामले में कोर्ट ने दोषी करार दिया है. उन्हें पालनपुर के 1996 एनडीपीएस मामले में आज पालनपुर सेशन कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें दोषि करार दिया गया.

Sanjiv Bhatt Convicted: संजीव भट्ट पर आरोप लगा था कि बनासकांठा के एसपी रहते हुए उन्होंने पालनपुर के एक होटल में 1.5 KG अफीम रखकर एक वकील को फंसाया था और नारकोटिक्स केस के तहत कार्रवाई की थी.

हिरासत में मौत मामला में संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट केवल पालनपुर मामले में भर दोषी करार नहीं दिए गए हैं, बल्कि उन्हें हिरासत में मौत मामले में भी दोषी करार दिया गया था और उन्हें कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसी साल जनवरी में गुजरात हाई कोर्ट ने भट्ट की अपील को खारित करते हुए सजा को बरकरार रखा था. जामनगर की सत्र अदालत ने 20 जून, 2019 को भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीणसिंह जाला को हत्या का दोषी ठहराया था. तीस अक्टूबर, 1990 को, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भट्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘रथ यात्रा’ को रोकने के खिलाफ ‘बंद’ के आह्वान के बाद जामजोधपुर शहर में सांप्रदायिक दंगे के बाद लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था. हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में शामिल एक व्यक्ति प्रभुदास वैश्नानी की रिहायी के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई. वैश्नानी के भाई ने भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर हिरासत में उसे प्रताड़ित करने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया. भट्ट को 5 सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन पर नशीली दवाएं रखने के लिए एक व्यक्ति को झूठा फंसाने का आरोप है.

भट्ट गुजरात दंगों के मामलों में भी आरोपी हैं, नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाकर हुए थे फेमस

गौरतलब है कि पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के साथ 2002 के गुजरात दंगों के मामलों के संबंध में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में भी आरोपी हैं. इससे पहले भट्ट तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाया था. आरोपों को एक विशेष जांच दल ने खारिज कर दिया था. उन्हें 2011 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था और अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय द्वारा ‘अनधिकृत अनुपस्थिति’ के लिए बर्खास्त कर दिया गया था.

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