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Education: हैदराबाद विश्वविद्यालय की 400 एकड़ भूमि की रक्षा के लिए एबीवीपी करेगी आंदोलन

बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर हैदराबाद विश्वविद्यालय की 400 एकड़ भूमि के अतिक्रमण और नीलामी के मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार इस भूमि को बचाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने और विश्वविद्यालय को उसका अधिकार वापस दिलाने की मांग उठायी.

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Education: हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के 400 एक जमीन पर राज्य सरकार द्वारा कब्जा करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. राज्य सरकार के फैसले को लेकर शिक्षण संस्थान के छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर हैदराबाद विश्वविद्यालय की 400 एकड़ भूमि के अतिक्रमण और नीलामी के मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार इस भूमि को बचाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने और विश्वविद्यालय को उसका अधिकार वापस दिलाने की मांग की. एबीवीपी ने कहा कि तेलंगाना सरकार की मनमानी और छात्रों की आवाज को दबाने के प्रयासों की कड़ी निंदा की जानी चाहिए.

शिक्षा और अनुसंधान के लिए समर्पित इस भूमि का निजी कंपनियों को सौंपा जाना न केवल अनुचित और निंदनीय है, बल्कि इससे क्षेत्र की पारिस्थितिक संतुलन को भी नुकसान होगा. यह भूमि न केवल शैक्षिक महत्व रखती है, बल्कि अपने समृद्ध जैव विविधता के कारण एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय धरोहर भी है. यहां अनेक दुर्लभ प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है, जिनके अस्तित्व पर संकट मंडरा सकता है. इस भूमि का विनाश जैविक तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा, जिससे जलवायु संतुलन, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.


राज्य सरकार कर रही है मनमानी


एबीवीपी ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय की यह भूमि केवल एक भूखंड नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक और पारिस्थितिकी धरोहर है, जिसे किसी भी स्थिति में नष्ट नहीं होने दिया जाएगा. छात्रों ने जब विरोध किया तो तेलंगाना पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना जबरन परिसर में घुसकर छात्रों को गिरफ्तार कर लिया. यह न केवल छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है, बल्कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर भी सीधा प्रहार है. ऐसे में केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर इस 400 एकड़ भूमि को तुरंत विश्वविद्यालय को लौटाए और पूरे 2320 एकड़ भूमि का आधिकारिक हस्तांतरण सुनिश्चित करें, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण की संभावना समाप्त हो सके.


एबीवीपी की राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी खारवाल ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय की भूमि राष्ट्र की शैक्षिक और पर्यावरणीय धरोहर है, इसे निजी कंपनियों को सौंपना छात्रों के अधिकारों पर कुठाराघात है. एबीवीपी इस मामले में कोई समझौता नहीं करेगी और यदि आवश्यक हुआ तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जायेगा. वहीं एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री श्रवण बी राज ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की भूमि पर अतिक्रमण किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है.

विश्वविद्यालयों की भूमि का उद्देश्य केवल शिक्षा और शोध होना चाहिए, न कि व्यावसायिक मुनाफे के लिए नीलामी. इस अन्याय के खिलाफ छात्रों को संगठित कर संघर्ष को और तेज किया जायेगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है. 

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