नयी दिल्ली : 12 दिसंबर, 2012 के रात 12 बजे दिल्ली के अतिविशिष्ट इलाके में बहशियों ने मानवता को शर्मसार करने वाली जिस घटना को अंजाम दिया था, आज यानी शुक्रवार को दोपहर दो बजे घटना की पीड़िता निर्भया के मामले में इंसाफ सुनायेगा. निर्भया के पिता ही नहीं, पूरे देश को उस घड़ी का इंतजार है, जब सुप्रीम कोर्ट बहशियों को सजा सुनायेगा. हालांकि, निर्भया के पिता का कहना है कि आज सुप्रीम कोर्ट से न सिर्फ उनकी बेटी को बल्कि इस देश में बहशियों के शिकार हर पीड़ित समाज के लोगों को इंसाफ मिलेगा. निर्भया गैंगरेप और मर्डर के मामले में दोषियों को पहले ही हाईकोर्ट से फांसी की मिल गयी है, लेकिन दोषी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी, जिसकी सुनवाई 27 मार्च को पूरी होने के बाद शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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निर्भया मामले में पूरे देश ने दिखाई थी एकजुटता
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, निर्भया के पिता का कहना है कि कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद है. उन्हें विश्वास है कि पूरे समाज को इस मामले में न्याय मिलेगा. निर्भया पर जो भी अत्याचार हुआ था, वह अत्याचार सिर्फ एक लड़की पर नहीं बल्कि समाज के खिलाफ किया गया अपराध था. इस मामले में पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ. इस घटना के बाद लोगों का जबरदस्त आक्रोश सामने आया. संसद ने रेप से संबंधित कानून में बदलाव किये और रेप के मामले में सख्त सजा का प्रावधान हुआ. हालांकि, पांच साल इस घटना को हो गये हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी थी, तो उन्हें उम्मीद थी कि अब जल्दी ही सुप्रीम इंसाफ होगा और अब वह वक्त आखिरकार आ ही गया.
रेयर ऑफ द रेयर है यह केस
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी थी कि इन चारों दोषियों ने बर्बर कृत्य किया है और इस मामले में चारों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. सजा कम करने की कोई परिस्थितियां नहीं है. इस मामले में सजा में कोई रियायत नहीं होनी चाहिए. वहीं, दोषियों की ओर से पेश कोर्ट सलाहकार वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि दोषियों को जीवन भर जेल में रखने की सजा भी एक विकल्प हो सकता है. वहीं, दोषियों की ओर से पेश वकील एपी सिंह और एमएल शर्मा ने कहा कि इस मामले में दोषियों की उम्र, पारिवारिक स्थिति और तात्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए इन्हें फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए.
4 अप्रैल, 2016 को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई थी बहस
निर्भया मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 4 अप्रैल 2016 में बहस शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट में चारों मुजरिमों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रखी है. मुजरिम मुकेश और पवन की ओर से उनके वकील एमएल शर्मा ने दलील की शुरुआत की थी, इसके बाद इस मामले में बाकी आरोपियों की ओर से वकील एपी सिंह ने बहस की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 8 अप्रैल को इसी साल चारों दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को इस मामले में दो दोषियों के लिए कोर्ट सलाहकार नियुक्त किया था, जबकि वकील संजय हेगड़े को बाकी दो दोषियों के लिए सलाकार वकील नियुक्त किया गया. निचली अदालत से चारों को फांसी की सजा सुनायी गयी थी. इसके बाद इन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी और हाई कोर्ट से भी इन्हें फांसी की सजा सुनायी गयी थी. इन दोनों अदालतों से फांसी की सजा मिलने के बाद आरोपियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गयी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.