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JNU मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सक्रिय, विपक्ष के नेताओं से की बात

नयी दिल्ली : जेएनयू मुद्दे पर उठे विवाद की ध्वनि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी सुनाई दी और विपक्षी दलों ने गिरफ्तार छात्र नेता पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने के खिलाफ विचार व्यक्त किया. दूसरी तरफ सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों द्वारा की गई […]

नयी दिल्ली : जेएनयू मुद्दे पर उठे विवाद की ध्वनि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी सुनाई दी और विपक्षी दलों ने गिरफ्तार छात्र नेता पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने के खिलाफ विचार व्यक्त किया. दूसरी तरफ सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों द्वारा की गई नारेबाजी ‘अत्यंत आपत्तिजनक’ है.

सरकार ने कहा कि वह 23 फरवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दौरान सदन में जेएनयू से जुड़े विवाद पर चर्चा कराने को तैयार है और मोदी ने कहा कि सरकार विपक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करेगी. दो घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार विपक्षी दलों की सभी चिंताओं को दूर करेगी.
बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने कई मुद्दे उठाये और कहा कि वह केवल भाजपा के प्रधानमंत्री नहीं है बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. संसद के बजट सत्र से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ चर्चा के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई यह पहली ऐसी बैठक है. मोदी ने बैठक के दौरान कहा, ‘‘ हम विपक्ष की ओर से उठाये गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देंगे और उनका निराकरण करेंगे… मुझे उम्मीद है कि यहां बना सौहार्दपूर्ण माहौल संसद में कार्यरुप में परिणत होगा. ‘
वेंकैया ने कहा कि इस बात को लेकर आम सहमति थी कि संसद को सुचारु रुप से चलना चाहिए. जेएनयू विवाद में भाजपा जहां कांग्रेस पर ‘राष्ट्रद्रोहियों’ का समर्थन करने का आरोप लगा रही है, वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी ऐसे सभी छात्रों से अपने को ‘अलग’ करती है जो देश की अखंडता और संविधान को निशाना बनाकर नारेबाजी कर रहे हैं. उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि जेएनयू छात्र संघ के गिरफ्तार अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह के कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ उसके खिलाफ देशद्रोह के कोई सबूत नहीं हैं.’ आजाद ने अपने पार्टी नेतृत्व को राष्ट्रद्रोहियों के साथ जोड़कर ‘बदनाम’ करने के लिए भाजपा नेताओं को निशाना बनाया और कहा कि सरकार को उन्हें रोकना चाहिए.
आजाद ने मीडिया से कहा कि जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से देश का माहौल खराब हुआ है और सरकार इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. वेंकैया ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ ‘देशद्रोही’ शब्द के इस्तेमाल पर चिंताओं को साझा किया और इस बात का जिक्र भी किया कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री के संदर्भ में ‘हिटलर’ शब्द का प्रयोग किया जाता है. उन्होंने कहा कि सभी दलों को संयम का परिचय देना चाहिए.
वेंकैया ने कहा, ‘‘सरकार नियम के तहत किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराने को तैयार है. हमें कोई आपत्ति नहीं है. सरकार इस दिशा में आगे बढ़कर पहल करना चाहती है…जेएनयू में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में खुलकर चर्चा हो, पोस्टरों का इस्तेमाल किया गया… कुछ ने कहा कि पुलिस को वहां नहीं जाना चाहिए था.
माहौल काफी अच्छा और सौहार्दपूर्ण था.’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह भी स्वर उभरा कि मीडिया तिल का ताड़ बना रहा है. ‘ वेंकैया ने कहा कि बैठक के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने जीएसटी विधेयक को पारित कराने के विषय को उठाया. जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि संसद में सुचारु रुप से कामकाज होना चाहिए और सभी विषयों पर चर्चा होनी चाहिए.
आजाद के साथ कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता अनंद शर्मा ने दावा किया कि उनकी पार्टी का हमेशा से यह विचार रहा है कि विधेयकों को महत्व के आधार पर पारित कराया जाना चाहिए लेकिन अगर संसद में गतिरोध है, तब सरकार को रास्ता निकालना चाहिए और उसे दूर करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘ अगर संवैधानिक पदों पर बैठे लोग देश में माहौल को खराब कर रहे हैं, तब इसकी प्रतिध्वनि संसद में सुनाई पड़ेगी.
अगर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई होती तब कई चीजें ऐसी नहीं होती जो हमें आज देखने को मिल रही है. ‘ कन्हैया का बचाव करते हुए आजाद ने कहा कि उसने कोई ऐसी बात नहीं कही जो देश की अखंडता और संविधान के खिलाफ हो. ‘‘देशद्रोह के आरोप में उसकी गिरफ्तारी अनुचित है… उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने देश के माहौल को खराब किया है. ‘
कांग्रेस नेताओं ने हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक दलित शोधार्थी के मुद्दे का भी जिक्र किया. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में राज्य के निर्णयों के विषय को भी उठाया गया जिसके कारण वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया. जीएसटी विधेयक पर पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि बैठक के दौरान विधेयक पर चर्चा नहीं हुई. वेंकैया ने कहा कि सत्र शुरू से पहले होने वाली पारंपरिक बैठक 22 फरवरी को होगी जिसमें विधेयकों और सत्र से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी.
बहरहाल, आजाद ने बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं को आमंत्रित करने की मोदी की पहल का स्वागत किया. वेंकैया ने कहा कि सभी दलों ने एक स्वर से कहा कि संसद में कामकाज होना चाहिए. ‘‘ संसद में गतिरोध के कारण लोगों में क्षोभ बढ़ रहा है… मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही है. ‘ कांग्रेस पर परोक्ष चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दल ने देश के माहौल का जिक्र किया लेकिन दूसरे दलों ने कहा कि कोई ‘किंतु और परंतु’ नहीं होना चाहिए और संसद में कामकाज होना चाहिए.

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