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अदालत ने स्विस बैंक का विवरण नहीं देने वाले कारोबारी को किया तलब

नयी दिल्ली : एक स्थानीय अदालत ने कालेधन से संबंधित मामले में 76 वर्षीय कारोबारी को आरोपी के रुप में तलब किया है. कारोबारी पर आरोप है कि उसने कर चोरी का प्रयास किया और दो वित्तीय वर्षो में अपने स्विस बैंक के खाते के विवरण का खुलासा नहीं किया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रीतम […]

नयी दिल्ली : एक स्थानीय अदालत ने कालेधन से संबंधित मामले में 76 वर्षीय कारोबारी को आरोपी के रुप में तलब किया है. कारोबारी पर आरोप है कि उसने कर चोरी का प्रयास किया और दो वित्तीय वर्षो में अपने स्विस बैंक के खाते के विवरण का खुलासा नहीं किया. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रीतम सिंह ने कारोबारी कृष्ण लाल मधोक के खिलाफ आयकर विभाग की अलग अलग शिकायतों का संज्ञान लेते हुये कहा कि पहली नजर में उसके खिलाफ आयकर कानून के प्रावधानों के तहत मामला बनता है.

दक्षिण दिल्ली के छतरपुर इलाके के निवासी मधोक को 24 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है. ये मामले 2006-07 और 2007-08 के कर निर्धारण वर्ष के सिलसिले में उसके खिलाफ दायर किये गये हैं. अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने वर्ष 2006-07 और 2007-08 के कर निर्धारण वर्ष के लिये आयकर कानून की धारा 276सी (1) (जानबूझकर किसी कर को बचाने का प्रयास) और धारा 277 (संपुष्टि में गलत बयान देना) के तहत अपराध के लिये शिकायत दायर की है. शिकायत के साथ संलग्न दस्तावेजों का अवलोकन किया। रिकार्ड में उपलब्ध सामग्री से पहली नजर में अपराध के होने का पता चलता है.

आयकर विभाग के अनुसर उसे सूचना मिली थी कि मधोक का जिनीवा में एचएसबीसी बैंक में खाता है जिसमे 2005-06 के वित्तीय वर्ष के लिये 4,61,810 अमेरिकी डालर :दो करोड पांच लाख रुपये: थे. करनिर्धारण वर्ष 2007-08 के संदर्भ में शिकायत में कहा गया है कि फरवरी, 2007 विदेशी बैंक खाते में 5ख्02,652 अमेरिकी डालर थे जिसमें 4,61,810 अमेरिकी डालर पहले वित्तीय वर्ष के शामिल हैं. शेष 40,842 अमेरिकी डालर कर निर्धारण वर्ष 2007-08 के हैं. इस मामले में अगस्त 2011 में आरोपी के घर और दफ्तर पर छापा मारा गया था और मधोक का बयान दर्ज किया गया था.

शिकायत के अनुसार मधोक से जब पूछताछ की गयी तो उसने बैंक खाते में अघोषित विदेशी आय रखना स्वीकार किया और इस राशि पर कर की अदायगी की इच्छा व्यक्त की. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मधोक ने कहा कि उसे विदेशी बैंक खाते की जानकारी नहीं थी क्योंकि उसकी दिवंगत पत्नी मेसर्स आर्टवेयर्स कार्पोरेशन की मालकिन के रुप में 1970 से 2005 (मृत्यु होने तक) कारोबार देख रही थी. बाद में इस कारोबार को साझेदारी फर्म में तब्दील कर दिया गया और मधोक इसमें साझेदार हो गये.

शिकायत के अनुसार निर्यातक ने नवंबर, 2011 में 65.42 लाख रुपए कर भुगतान किया लेकिन इस विदेशी बैंक के खाते का विवरण प्राप्त करने के लिये विभाग को अपना सहमति पत्र नहीं दिया है. मधोक को विदेशी बैंक खाते के बारे में बयान देने के लिये नोटिस दिया गया था परंतु 2013 में उसने इसके विवरण की जानकारी से इंकार किया था। आयकर कानून के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये उसे कारण बताओ नोटिस दिया गया जिसका उसने जवाब तो दिया लेकिन वह संतोषप्रद नहीं था. आयकर विभाग ने जून 2015 में उसके उपर करीब 70 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.

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