नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गयी है, जिसमें उसने आप सरकार को जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ 2016 के राजद्रोह के एक मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए निर्देश देने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने 14 जनवरी को कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ अदालत में आरोप-पत्र दायर करते हुए कहा था कि वे विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी, 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम में जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और राजद्रोह वाले नारों का समर्थन कर रहे थे. कन्हैया के अलावा जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य पर भी आरोप था.
बीजेपी नेता नंद किशोर गर्ग द्वारा दायर याचिका में कन्हैया के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देने की मांग करते हुए कहा गया कि इस तरह के मामलों में मुकदमे में विलंब कानून के शासन के लिये खतरे के बराबर है। याचिका में सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की गई कि वह एक उच्चस्तरीय समिति गठित करे जो यह पहलू देखेगी कि कुमार समेत आपराधिक मामलों में मुकदमे के लिये मंजूरी देने की प्रशासनिक प्रक्रिया में असाधारण विलंब किन वजहों से हुआ। उच्च न्यायालय ने पिछले साल चार दिसंबर को कहा था कि वह इस संबंध में दिल्ली सरकार को कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती क्योंकि मौजूदा नियमों, कानूनी नीति और मामले के तथ्यों के मुताबिक मुकदमे की मंजूरी का फैसला दिल्ली सरकार को लेना है। उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कुमार और अन्य के खिलाफ 2016 के जेएनयू राजद्रोह मामले में दर्ज एफआईआर को लेकर कुछ निजी स्वार्थ है।