नयी दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ‘कदम मिलाकार चलना होगा’ को अब स्कूली बच्चे पढ़ेंगे.
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की इस कविता को 8वीं कक्षा की किताब में शामिल करने का निर्णय लिया है. ऐसा वाजपेयी के योगदान और उनकी उपलब्धियों को अमर रखने के लिए किया गया है.
देशवासियों से एक साथ चलने की अपील करती वाजपेयी की यह कविता आठवीं कक्षा में हिंदी की किताब ‘वसंत’ में शामिल की गयी है.
इस किताब में रामधारीसिंह दिनकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, हरिशंकर परसाई और इस्मत चुगताई जैसे प्रसिद्ध लेखकों के द्वारा लिखे गये निबंध, कविता और लघु कथाएं शामिल हैं.
‘कदम मिलाकार चलना होगा’
-अटल बिहारी वाजपेयी
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुष्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहूति में,
जलना होगा, गलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.