नयी दिल्ली : भाजपा सांसद उदित राज ने मंगलवार को भारत में ‘मी टू’ अभियान को ‘गलत प्रथा’ करार दिया और सवाल उठाया कि 10 साल बाद किसी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाना कितना प्रासंगिक है. देश में ‘मी टू’ अभियान जोर पकड़ता दिख रहा है और एक के बाद एक कई महिलाएं मनोरंजन और मीडिया जगत में अपने यौन उत्पीड़न के अनुभवों को साझा कर रही हैं.
राज ने कहा कि सभी मामलों को एक-एक करके देखें तो ऐसे कई मामले हैं जहां महिलाओं ने पैसा लेकर यह किया और फिर अगला निशाना बनाया. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी महिला का उत्पीड़न किया है तो उस शख्स को ‘गोली मार दी जानी’ चाहिए. उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, ‘मी टू’ कैम्पेन जरूरी है, लेकिन किसी व्यक्ति पर 10 साल बाद यौन शोषण का आरोप लगाने का क्या मतलब है? इतने सालों बाद ऐसे मामले की सत्यता की जांच कैसे हो सकेगी?’ भाजपा सांसद ने कहा, जिस व्यक्ति पर झूठा आरोप लगा दिया जायेगा उसकी छवि का कितना बड़ा नुकसान होगा, यह सोचनेवाली बात है. यह गलत प्रथा की शुरुआत है.
उत्तर पश्चिम दिल्ली क्षेत्र से लोकसभा सदस्य ने कहा कि मी टू अभियान का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा, यह कैसे संभव है कि कोई लिव-इन रिलेशन में रहनेवाली लड़की अपने पार्टनर पर कभी भी रेप का आरोप लगाकर उस पर मुकदमा दर्ज करा दे और वह व्यक्ति जेल चला जाये. इस तरह की घटना आय दिन किसी न किसी के साथ हो रही है. क्या यह ब्लैकमेलिंग के लिए नहीं इस्तेमाल हो रहा? यह अभियान तब शुरू हुआ जब अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने आरोप लगाया कि अभिनेता नाना पाटेकर ने 2008 में एक फिल्म के सेट पर उनका यौन उत्पीड़न किया. इसके बाद से कई महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से अपने उत्पीड़न के अनुभवों को साझा किया.