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झारखंड को अशांत करने के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई पत्थलगड़ी

रायपुर : आदिवासी बाहुल्य झारखंड से शुरू हुआ आदिवासियों का आंदोलन पत्थलगड़ी अब छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में फैल गया है. इस आंदोलन के बाद पुलिस ने जहां इसके मुखिया समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है वहीं मुख्यमंत्री ने इस आंदोलन के पीछे धर्मांतरण को बढ़ावा देने वालों का हाथ होने की बात […]

रायपुर : आदिवासी बाहुल्य झारखंड से शुरू हुआ आदिवासियों का आंदोलन पत्थलगड़ी अब छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में फैल गया है. इस आंदोलन के बाद पुलिस ने जहां इसके मुखिया समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है वहीं मुख्यमंत्री ने इस आंदोलन के पीछे धर्मांतरण को बढ़ावा देने वालों का हाथ होने की बात कही है.

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुलता वाले जशपुर जिले के बछरांव गांव में पिछले महीने की 22 तारीख को ओएनजीसी के पूर्व अधिकारी जोसेफ तिग्गा और उनके सहयोगी तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एच पी किंडो ने आदिवासियों को एकत्र कर पत्थलगड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया था. आयोजन के बाद स्थानीय मीडिया में यह मामला सामने आया.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बगीचा क्षेत्र के गांवों में ग्रामसभा का आायोजन किया गया और गांव के बाहर पत्थर गड़ाकर पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के गांवों में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश को निषिद्ध कर दिया गया. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया. हालांकि बाद में क्षेत्र में माहौल तब बिगड़ गया जब 28 तारीख को आदिवासियों ने पुलिस का घेराव किया. इसके बाद पुलिस ने तिग्गा और किंडो समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

जशपुर क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों के मुताबिक क्षेत्र में पत्थलगड़ी के आयोजन के बाद नारायणपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बुठुंगा गांव में दो समूहों में झड़प के बाद इलाके में तनाव फैल गया और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों और पुलिस का घेराव किया था. इसके बाद पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस के मुताबिक तिग्गा और जोसेफ पर आरोप है कि उन्होंने पत्थलगडी़ के नाम पर लोगों को प्रशासन के खिलाफ भड़काया था जिससे क्षेत्र में तनाव फैला. जिले के गांवों में जब पत्थलगड़ी की गई तब गांवों के बाहर पत्थर लगाया गया जिसमें सबसे उंची है ग्राम सभा लिखा गया था. वहीं साथ ही एक बोर्ड भी लगाया गया जिसमें जनजातियों के रूढ़ी और प्रथा को विधि का बल प्राप्त होने तथा विधानसभा या राज्यसभा द्वारा बनाया गया कोई भी सामान्य कानूनों का अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं होने की जानकारी दी गयी थी. साथ ही इसमें यह भी कहा गया था कि लोकसभा और विधानसभा से ऊंचा स्थान ग्राम सभा को प्राप्त है. बोर्ड में लिखा गया कि आदिवासी ही इस देश के असली मालिक हैं.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गांवों में इसके माध्यम से तनाव नहीं फैले इसलिए यह कार्रवाई की गयी है. पत्थलगड़ी को लेकर सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम कहते हैं कि गावों में खासकर अनुसूचित क्षेत्रों में पत्थलगड़ी का कार्यक्रम होता रहा है. देश में पंचायती राज व्यवस्था के लागू होने के बाद यह एक रिवाज के रूप में सामने आया. इसके माध्यम से गांव के बाहर एक छोटी सी दीवार की तरह बनाया जाता है या पत्थर लगाकर ग्राम सभा के अधिकारों के बारे में बताया जाता है.

नेताम कहते हैं कि देश में आदिवासियों के हितों में कई कानून बने लेकिन इन कानूनों का पालन ठीक तरीके से नहीं हुआ. इससे आदिवासी समाज ठगा हुआ महसूस कर रहा है. वह कहते हैं कि देश में पंचायत (एक्सटेंशन टू सेडूल एरिया) एक्ट (पेसा) कानून बनाया गया. लेकिन अभी तक इसका ठीक तरीके से पालन नहीं हो रहा है. आदिवासी क्षेत्रों की जमीनों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. क्षेत्र में उद्योगों की भरमार हो गयी है. ऐसे में आदिवासियों का अपने हक के लिए लड़ना स्वभाविक है. हालांकि पुलिस को बंधक बनाना या कानून को अपने हाथों में लेना उचित नहीं है.

नेताम कहते हैं कि इन आंदालनों को राजनीतिक दल अपने नजरिये से देखते हैं और अपने हिसाब से इसकी व्याख्या करते हैं जो ठीक नहीं है. राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के मुताबिक राज्य सरकार अनुसूचित क्षेत्रों में संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में असफल रही है. इसलिए इस तरह के आंदोलन हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि आदिवासियों की मांग है कि उनके क्षेत्र के लिए बनाए गए संवैधानिक प्रावधानों को लागू किया जाए. लेकिन सरकार उनकी समस्याओं को समझ नहीं पा रही है.

कांग्रेस इस मामले की जांच के लिए 17 सदस्यीय समिति का भी गठन किया है. इधर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस आंदोलन को ही असंवैधानिक करार दिया है. सिंह का कहना है कि यह देश में कैसे संभव है कि कोई भी व्यक्ति किसी गांव में प्रवेश नहीं कर सकता है. मुख्यमंत्री कहते हैं कि यह षड़यंत्र है. एक प्रकार की ताकत है जो धर्मांतरण को बढ़ावा देना चाहती है. रमन सिंह कहते हैं कि इस आंदोलन का विरोध राज्य के सभी आदिवासी विधायक, सांसद, नेता और आम जनता कर रही है.

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