नयी दिल्ली : दिल्ली हाइकोर्ट ने आज आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किये जाने के मामले की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग इस संंबंध में एक सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने से जुड़ी केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार किया, हालांकि चुनाव आयोग से कहा कि वह 29 जनवरी तक उपचुनाव तिथियों की घोषणा जैसा कोई कदम नहीं उठाए. न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने आप विधायकों की याचिकाओं पर चुनाव आयोग, केंद्र से जवाब मांगा. विधायकों ने खुद को अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने पद के लाभ के इस मामले की चुनाव आयोग के समक्ष हुई सुनवाई से जुड़े पूरे रिकॉर्ड मांगे हैं. इस मामले में अगली सुनवाई अदालत छह फरवरी को होगी. इस संबंध में दिल्ली हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया है कि वह इस संबंध में उपचुनाव के लिए नोटिफिकेशन नहीं जारी करे.
उल्लेखनीय है किरविवारको राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्वीकृति के बाद केंद्र ने अधिसूचना जारी कर आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया था. इन विधायकों की सदस्यता लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने रद्द करने की स्वीकृति दी थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इन विधायकों को 2015 में संसदीय सचिव बनाया गया था, जिसे नियम विरुद्ध व लाभ के पद का मामला माना गया.
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सुबह खचाखच भरी थी अदालत
मामले पर सुनवाई शुरू करने से पहले अपने अदालत कक्ष में मौजूद भीड़ को देखते हुए आज सवेरे न्यायमूर्ति ने कहा कि वह अन्य मामलों की सुनवाई करने में सक्षम नहीं हैं. अदालत इन आठ विधायकों एवं उनके समर्थकों से खचाखच भरी थी. उनके अलावा अदालत कक्ष में पार्टी के कुछ वरिष्ठ सदस्यों सहित पत्रकार एवं विधायकों के वकील भी मौजूद थे. 19 जनवरी को चुनावी पैनल ने 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति से स्वीकृति मिल गयी थी. 20 जनवरी को कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम की धारा 15 (1) (ए) के तहत 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया है.
निर्वाचन आयोग (इसी) ने वकील प्रशांत पटेल की ओर से दायर याचिका पर फैसला करते हुए यह सिफारिश की थी. पटेल ने आरोप लगाया था कि विधायक जैसे लाभ के पद पर रहते हुए 21आप विधायक संसदीय सचिव के पद पर आसीन हैं. उन्होंने इन 21 आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. हालांकिइनमें राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफा दे देने के कारण उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की गयी.
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