नयी दिल्ली : सशस्त्र बलों की ओर से स्वदेशी लाइट कॉम्बैट विमान तेजस और युद्धक टैंक अर्जुन के नये वर्जन के निर्माण के प्रस्ताव को रद्द करने की तैयारी की जा रही है. मेक इन इंडिया और रणनीतिक हिस्सेदारी की नीति के तहत सशस्त्र बलों की ओर से विदेशी एकल इंजन युद्धक विमान और युद्धक टैंकों की खरीद के प्रस्ताव दिये गये हैं.
पिछले सप्ताह ही सेना ने 1,770 टैंकों के लिए रिक्वेस्ट फॉर इन्फाॅर्मेशन जारी की थी. इन्हें फ्यूचर रेडी कॉम्बैट वीइकल्स भी कहा जाता है. इसके जरिये सेना युद्ध के मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है. इसके अलावा, भारतीय वायुसेना की ओर से भी जल्दी ही 114 सिंगल इंजन फाइटर जेट्स के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा सकती हैं.
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टाइम्स आॅफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार, रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अनुभवहीनता को दूर करने के लिए रक्षा मंत्रालय की ओर से स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप पर जोर दिये जाने की नीति के तहत यह कदम उठाये जा सकते हैं. इस नीति के तहत हथियारों का उत्पादन करने वाली भारत की निजी कंपनियों और दुनिया की दिग्गज हथियार कंपनियों में जॉइंट वेंचर्स के तहत उत्पादन किया जाना है. टेक्नॉलाॅजी ट्रांसफर भी इस कार्यक्रम का हिस्सा होगा.
हालांकि, ऐसा करना भारतीय वायुसेना और सेना के लिए आसान नहीं होगा. सालाना रक्षा बजट में नयी परियोजनाआें के लिए रकम का आवंटन बेहद कम है. इसके अलावा, इस राशि का अधिकतर हिस्सा पूर्व में किये गये सौदों की किस्तों को चुकाने में जा रहा है. भारतीय वायुसेना के एक इंजन युद्धक परियोजना पर ही रक्षा मंत्रालय को तकरीबन 1.15 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
इसके अलावा, डीआरडीओ की ओर से भी इसे लेकर दबाव बनाया जा रहा है. एक इंजन युद्धक परियोजना की जरूरत को लेकर सरकार को सवालों का सामना करना पड़ा रहा है. एक सूत्र ने कहा कि सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या बड़ी रक्षा परियोजनाआें को निजी क्षेत्र को दिया जाना चाहिए. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने कहा है कि वह काफी अच्छी श्रेणी के सिंगल इंजन जेट्स की डिलिवरी कर सकती है.