अहमदाबाद : भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष और उनकी पार्टी रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें. शाह ने समाचार चैनल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और शशि थरुर ने रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर गुरुवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भारत में उनके प्रवेश का पक्ष लिया था. उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से कहना चाहूंगा कि वे मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें.
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रोहिंग्या मुसलमानों के मामले की पैरवी एक अन्य वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल द्वारा की जा रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ कट्टरपंथी लोगों के चलते पूरे समुदाय को दोष देना सही है? इस सवाल के जवाब में भाजपा अध्यक्ष शाह ने कहा कि केंद्र ने सभी तथ्यों पर विचार किया है और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष गंभीरता से रखा है.
शाह ने कहा कि यह कोई सामान्य मुद्दा नहीं है. यह कोई मानवाधिकार का सवाल नहीं है. यह देश की सुरक्षा का एक सवाल है. हमें पूर्व में भुगतना पड़ा है, लेकिन अब हमें सीमापार से घुसपैठ रोकने के लिए मजबूत निगरानी रखनी होगी.
उन्होंने कहा कि हम उन्हें म्यांमार में भोजन मुहैया करा सकते हैं. हम उन्हें कपड़े, दवाएं मुहैया करा सकते हैं आैर हम उन्हें सभी तरह की आर्थिक मदद दे सकते हैं, लेकिन देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा. एक सैन्य कार्रवार्इ के बाद म्यांमार के रखाइन प्रांत से लाखों रोहिंग्या मुसलमान भागे हैं.
भारत ने पिछले महीने रखाइन प्रांत में घटनाक्रमों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी. उसने आग्रह किया था कि स्थिति से संयम और परिपक्वता से निपटा जाना चाहिए और सुरक्षा बलों के साथ ही असैन्य जनसंख्या के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए. पिछले महीने ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी अवैध प्रवासी हैं और उनमें से कुछ पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों के कुटील षड्यंत्र का हिस्सा हैं और देश में उनकी मौजूदगी राष्ट्रीय सुरक्षा को एक गंभीर खतरा उत्पन्न करेगी.
गृह मंत्रालय ने 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में अपना रुख स्पष्ट किया था, जिसमें उसने कहा था कि देश के किसी भी हिस्से में बसने का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है, रोहिंग्या को नहीं. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवार्इ के दौरान केंद्र सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि वह अगली सुनवार्इ तक रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजने के कार्यक्रम को फिलहाल स्थगित कर दे.