नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह अगले सोमवार को इस सवाल पर विचार करेगा कि क्या हार्इकोर्ट रिट अधिकार के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके एक मुस्लिम युवक की उस हिंदू महिला से शादी को अमान्य घोषित कर सकता है , जिसने निकाह करने से पहले इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि केरल के मुस्लिम युवक शफीन जहां की नयी अर्जी पर नौ अक्टूबर को विचार किया जायेगा. इस अर्जी में शफीन ने न्यायालय से अपना पहले का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी को यह पता लगाने के लिए कहा गया था कि क्या इस मामले में कथित लव जिहाद का व्यापक पैमाना है.
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शफीन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि बहुधर्मी समाज में शीर्ष अदालत को इस मामले की राष्ट्रीय जांच एजेंसी को जांच का आदेश नहीं देना चाहिए था. उन्होंने इस आदेश को वापस लेने के लिए दायर अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया. इस पर पीठ ने कहा कि सवाल यह है कि क्या हार्इकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करके शादी अमान्य घोषित कर सकता है. केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस प्रकरण में पेश हो रहे अतिरिक्त साॅलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह व्यक्तिगत काम की वजह से बाहर गये हुए हैं.
शफीन जहां ने 20 सितंबर को यह आवेदन दायर करके न्यायालय से अपना 16 अगस्त का वह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया था, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी को हिंदू महिला के धर्म परिवर्तन के बाद इस व्यक्ति से विवाह के विवादास्पद मामले की जांच का निर्देश दिया गया था. केरल हार्इकोर्ट ने इस विवाह को लव जिहाद का नमूना बताते हुए इसे अमान्य घोषित कर दिया था. इसके बाद ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
इस व्यक्ति का दावा है कि महिला ने स्पष्ट किया है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल किया है, लेकिन हार्इकोर्ट के 24 मई के आदेश के बाद से उसे उसकी मर्जी के खिलाफ पिता के घर में नजरबंद करके रखा गया है. यह आरोप लगाया जा रहा है कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट मिशन ने इस महिला को भर्ती किया है और शफीन जहां तो सिर्फ एक मोहरा है. इस महिला के पिता अशोकन केएम का आरोप है कि धर्म परिवर्तन कराने के लिए बहुत ही सुनियोजित व्यवस्था काम कर रही है.