नयी दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के ताजा बयान से वंशवाद का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है. भारतीय राजनीति का यह एक ऐसा विषय है, जिसकी आलोचना करते-करते कई राजनेता और दल खुद इसके चपेट में आ गये. बात किसी एक पार्टी की नहीं है. कई दल इसके शिकार हैं. सवाल है कि क्या इसकी जड़ें रातों रात गहरी हुई हैं. यह समस्या आखिर कब दूर होगी. आइए नजर डालते हैं पार्टियों के वंशवाद पर…
कांग्रेस
जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी (बेटी), राजीव (नाती), सोनिया (बहू) और राहुल (पोता)
समाजवादी पार्टी
मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव (पुत्र) डिंपल यादव (बहू), शिवपाल यादव (भाई)
विदेशी सरजमीं से राहुल गांधी ने आर्थिक मामलों को लेकर पीएम मोदी पर साधा निशाना, 10 महत्वपूर्ण बातें…
शिवसेना
बाला साहेब ठाकरे, बाला साहेब ठाकरे, उद्धव ठाकरे (पुत्र), आदित्य ठाकरे (पोता)
राष्ट्रीय जनता दल
लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी (पत्नी), मीसा भारती (बेटी), तेज प्रताप और तेजस्वी (पुत्र)
लोजपा
रामविलास पासवान, चिराग पासवान (पुत्र), पशुपतिनाथ पारस और रामचंद्र पासवान(भाई)
रालोद
चौधरी चरण सिंह, अजीत सिंह (पुत्र), जयंत चौधरी (पोता)
शिअद
प्रकाश सिंह बादल, सुरिंदर कौर (पत्नी), सुखबीर (पुत्र), हरसिमरत (बहू), मनप्रीत (भतीजा)
डीएमके : करुणानिधि, एमके स्टालिन (पुत्र), कनिमोझी (पुत्री)
नेशनल कॉन्फ्रेंस : फारूक अब्दुला, उमर अब्दुला (पुत्र)
पीडीपी : मुफ्ती मोहम्मद सईद, महबूबा मुफ्ती सईद (पुत्री)
अपना दल : सोनेलाल पटेल, कृष्णा पटेल (पत्नी), अनुप्रिया पटेल (बेटी)
एनसीपी : शरद पवार, सुप्रिया सुले (बेटी)
बीजद : बीजू पटनायक, नवीन पटनायक (पुत्र)
जनता दल (एस) : एचडी देवगौड़ा, कुमारस्वामी और रेवन्ना (बेटा)
झामुमो : शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन (बेटा), सीता सोरेन (बहू)
15वीं लोकसभा
156 सांसद पारिवारिक पृष्ठभूमि से पहुंचे थे.
16वीं लोकसभा
130 सांसदों का संबंध वंशानुगत राजनीति से