नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस को आदेश दिया है कि वह उस मामले की जांच का ब्योरा नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) के साथ साझा करे, जिसमें हाइकोर्ट ने एक मुसलमान की धर्मांतरित हिंदू महिला से शादी को ‘लव जिहाद’ करार दिया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जब संबंधित व्यक्ति ने उसकी शादी केरल हाइकोर्ट से रद्द होने को चुनौती दी. हाइकोर्ट ने केरल पुलिस को ऐसे मामलों की जांच का आदेश दिया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पूरी तसवीर समझने और यह जानने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को बतौर तटस्थ एजेंसी जांच का जिम्मा सौंपा कि क्या यह खास घटना एक छोटे से इलाके तक सीमित है अथवा इस मुद्दे का व्यापक आयाम है. चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस धनंजय वाइ चंद्रचूड़ की पीठ ने केरल निवासी शफीन जहान के वकील की इस आपत्ति को गंभीरता से लिया कि एनआइए को इस मामले के पुलिस के जांच रिकाॅर्ड का अवलोकन नहीं करने दिया जाये. पीठ ने कहा कि उसे महसूस होता है कि याचिकाकर्ता (जहान) नहीं चाहता कि इस विवाद के बारे में कोर्ट के समक्ष सही और स्वतंत्र दृष्टिकोण सामने आये.
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पीठ ने कहा, ‘केरल पुलिस को एनआइए को हर तरह का सहयोग देने का निर्देश दिया जाता है.’ कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश की प्रति केरल पुलिस को दी जाये. एनआइए के वकील अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल मनिंदर सिंह ने शीर्ष अदालत से दरख्वास्त की कि एनआइए को राज्य पुलिस द्वारा की गयी जांच के रिकाॅर्ड को देखने दिया जाये.
पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अनुरोध का जवाब देने की जहान को अनुमति दे दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी केरल पुलिस को निष्पक्ष तरीके से मदद नहीं कर पायेगी, यदि उसे जांच रिकाॅर्ड नहीं देखने दिया जाता है. पीठ ने टिप्पणी की, ‘हम पूरी तसवीर जानना चाहते हैं. राष्टूीय जांच एजेंसी पर किसी को संदेह क्यों होना चाहिए? क्या आप राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर संदेह कर रहे हैं? यदि एनआइए को रिकाॅर्ड दिखाया जाता है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है.’
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इससे पहले, दिन में जांच एजेंसी ने शीर्ष अदालत में केरल पुलिस को इस मामले की जांच का रिकाॅर्ड दिखाने का निर्देश देने के लिए एक अर्जी दायर की. जहान ने पिछले साल दिसंबर में एक हिंदू महिला से निकाह किया था. केरल हाइकोर्ट ने उसका निकाह रद्द करते हुए कहा था कि यह देश में महिलाओं की स्वतंत्रता का अपमान है.
हिंदू महिला ने इसलाम धर्म कबूल करने के बाद जहान से निकाह किया था. आरोप है कि महिला को सीरिया में इसलामिक स्टेट के मिशन ने भर्ती किया था और जहान सिर्फ उसके लिए काम करता था. हाइकोर्ट ने इस निकाह को ‘रद्द और शून्य’ घोषित करते हुए इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया था और राज्य पुलिस को ऐसे मामलों की जांच करने का आदेश दिया था.